कहींकहीं जिन के पास बड़े आवास हैं, वे लोग अपने आवास के चारों ओर की चारदीवारी के अंदर बची हुई जगहों को गृह वाटिका में बदल कर दैनिक उपयोग के लिए सब्जियों, फूलों और फलों को उगा रहे हैं.
यह हकीकत है कि हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं, हमारा पौधों के प्रति लगाव या कहें कि आकर्षण कम नहीं हो सकता है. मनुष्य की आवश्यकता और पेड़पौधों के आसपास रहने की आदत ने ही बागबानी की शुरुआत की है.
आजकल छोटे या बड़े कार्यालयों के बरामदे में रखने वाले और कम धूप में उग सकने वाले पौधे आसानी से मिल जाएंगे. मगर जितना ये पौधे हमें देखने में अच्छे लगते हैं, उतनी ही उन की देखरेख करने की भी आवश्यकता होती है. किसी भी गृह वाटिका में पौधों की वृद्धि, उत्पादन व सुंदरता पूरी तरह से वाटिका के प्रबंधन पर निर्भर करती है.
यदि दैनिक आवश्यकतानुसार फूल, फल व सब्जियां प्राप्त करने के लिए गृह वाटिका को बनाया गया है, तो हमें इस का प्रबंधन इस तरह करना चाहिए, जिस से कि कम लागत व कम से कम समय लगा कर अधिकतम उत्पादन को प्राप्त कर सकें. साथ ही, वे सुंदर व स्वच्छ भी बनी रहें. सुनियोजित रूप से गृह वाटिका का प्रबंधन कर के हम उस को हमेशा हराभरा बनाए रख सकते हैं, जिस के लिए हमें निम्नलिखित सुझावों को अपनाने की आवश्यकता है:
मृदा का शुद्धीकरण
सब से पहले जो भी मृदा हम उपयोग के लिए ले रहे हैं, उस का शुद्धीकरण करने की आवश्यकता होती है, अन्यथा मृदा में रहने वाले अनेक प्रकार के हानिकारक कीट या कवक पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. जैसा कि देखा गया है कि गमलों, क्यारियों और नर्सरी के पौधों में सब से खतरनाक कवकजनित रोग तना सड़ने लगता है, जो पौधों की बढ़वार पूरी तरह से रोक देता है और पौधे सूख कर नष्ट हो जाते हैं.
इस रोग से बचने के लिए कैप्टान या थिरम को 5 ग्राम प्रति लिटर पानी के घोल का प्रयोग कवकनाशी के रूप में किया जा सकता है. यदि दीमक आदि का प्रकोप है, तो 2 से 4 मिलीलिटर क्लोरोपायरीफास को एक लिटर पानी में घोल कर लगभग 5 सैंटीमीटर गहराई तक की मिट्टी को तरबतर कर देने से दीमक नष्ट हो जाते हैं और हमारी पौधशाला कीटों व रोगों से सुरक्षित रहती है.
ऐसे करें बीजों की बोआई
この記事は Farm and Food の January Second 2023 版に掲載されています。
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
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आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
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पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
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