इन दिनों रबी सीजन की खास फसलें भी कट चुकी होती हैं और बड़ी तादाद में खेत खाली हो जाते हैं. ऐसे समय में खेत की मिट्टी की जांच करवा लेनी चाहिए, जिस से आने वाली फसल में जांच की संस्तुति के आधार पर खाद, बीज और उर्वरक इस्तेमाल किए जा सकें.
इस के अलावा पशुओं के लिए ठंडक वाली जगह का इंतजाम करना चाहिए. गरमी से पशुओं का बचाव करना बहुत जरूरी है. पशुओं को कोई समस्या होने पर पशु डाक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. इस के अलावा खेती से संबंधित अनेक काम हैं, जिन के बारे में कुछ सुझाव दिए गए हैं. उन पर अमल करें और किसानों को खेती व पशुओं के साथसाथ गरमी से अपना भी बचाव करना जरूरी है.
● अनाज भंडारण वाले कमरे की साफसफाई कर मैलाथियान का छिड़काव करें. धूप में सुखाए हुए अनाज को छाया में ठंडा कर के ही भंडारण करना चाहिए.
● अनाज भंडारण के समय नमी का उचित स्तर सुनिश्चित कर लेना चाहिए. नमी का स्तर अनाज वाली फसलों में 12 फीसदी, तिलहनी फसलों में 8 फीसदी, दलहनी फसलों में 9 फीसदी और सोयाबीन आदि के दानों में 10 फीसदी से कम रहना चाहिए.
● फसल की कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष भूल कर भी न जलाएं. इस से खेत के लाभदायक मित्र जीव नष्ट हो जाते हैं और फसल में शत्रु जीवों का प्रकोप बढ़ जाता है.
● फसल अवशेषों को पशु चारे के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है अथवा उन की कंपोस्टिंग कर के उत्तम किस्म की खाद बनाई जा सकती है. यदि ये दोनों संभव न हो सकें, तो उन्हें खेत में ही रोटावेटर की सहायता से महीन कर के मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जो सड़ कर आगामी फसल में मृदा जीवांश कार्बन में योगदान करेंगे. कुछ किसान मशरूम उत्पादन के प्रयोग में भूसे को ले सकते हैं.
この記事は Farm and Food の May First 2023 版に掲載されています。
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नई तकनीक से किसानों की आमदनी बढ़ा रही हैं डा. पूजा गौड़
डा. पूजा गौड़ शिक्षा से स्वावलंबन और स्वावलंबन से माली समृद्धि के लिए जौनसार इलाके के किसानों और युवाओं को खेतीबारी के प्रति जागरूक कर रही हैं. हाल ही में उन्हें उन के किए जा रहे प्रयासों के लिए लखनऊ में दिल्ली प्रैस द्वारा आयोजित 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड 2024' से सम्मानित किया गया.
पशुओं में गर्भाधान
गोवंशीय पशुओं का बारबार गरमी में आना और स्वस्थ व प्रजनन योग्य नर पशु से गर्भाधान या फिर कृत्रिम गर्भाधान सही समय पर कराने पर भी मादा पशु द्वारा गर्भधारण न करने की अवस्था को 'रिपीट ब्रीडिंग' कहते हैं.
पशुओं के लिए बरसीम एक पौष्टिक दलहनी चारा
बरसीम हरे चारे की एक आदर्श फसल है. यह खेत को अधिक उपजाऊ बनाती है. इसे भूसे के साथ मिला कर खिलाने से पशु के निर्वाहक एवं उत्पादन दोनों प्रकार के आहारों में प्रयोग किया जा सकता है.
औषधीय व खुशबूदार पौधों की जैविक खेती
शुरू से ही इनसान दूसरे जीवों की तरह पौधों का इस्तेमाल खाने व औषधि के रूप में करता चला आ रहा है. आज भी ज्यादातर औषधियां जंगलों से उन के प्राकृतिक उत्पादन क्षेत्र से ही लाई जा रही हैं. इस की एक मुख्य वजह तो उनका आसानी से मिलना है. वहीं दूसरी वजह यह है कि जंगल के प्राकृतिक वातावरण में उगने की वजह से इन पौधों की क्वालिटी अच्छी और गुणवत्ता वाली होती है.
दुधारू पशुओं की प्रमुख बीमारियां और उन का उपचार
पशुपालकों को पशुओं की प्रमुख बीमारियों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, ताकि उचित समय पर सही कदम उठा कर अपना माली नुकसान होने से बचा जा सके. कुछ बीमारियां तो एक पशु से दूसरे पशु को लग जाती हैं, इसलिए सावधान रहने की जरूरत है.
एक ऐसा गांव जहां हर घर में हैं दुधारू पशु
मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित विश्वविद्यालय की घाटी पर बसा गांव रैयतवारी भैंसपालन और दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है. दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में संचालित मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
रबी की सब्जियों में जैविक कीट प्रबंधन
रबी की सब्जियों में मुख्य रूप से वर्गीय में फूलगोभी, पत्तागोभी, सोलेनेसीवर्गीय में गांठगोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च, आलू, पत्तावर्गीय में धनिया, मेथी, सोया, पालक, जड़वर्गीय में मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर एवं मसाला में लहसुन, प्याज आदि की खेती की जाती है.
कृषि विविधीकरण : आमदनी का मजबूत जरीया
किसानों को खेती में विविधीकरण अपनाना चाहिए, जिससे कि वे टिकाऊ खेती, औद्यानिकीकरण, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय के साथ ही मधुमक्खीपालन, मुरगीपालन सहित अन्य लाभदायी उद्यम को करते हुए अपने परिवार की आय को बढ़ाने के साथसाथ स्वरोजगार भी कर सकें.
जनवरी में खेती के काम
जनवरी में गेहूं के खेतों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. इस दौरान तकरीबन 3 हफ्ते के अंतराल पर गेहूं के खेतों की सिंचाई करते रहें. गेहूं के खेतों में अगर खरपतवार या दूसरे फालतू पौधे पनपते नजर आएं, तो उन्हें फौरन उखाड़ दें.
जल संसाधनों के अधिक दोहन को रोकना जरूरी
बायोसैंसर जैसी आधुनिक तकनीक का जल संसाधनों में बेहतर उपयोग किया जा सकता है. मक्का की फसल धान वाले खेतों में पानी बचाने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है.