गन्ने के साथ सहफसली खेती
Farm and Food|January Second 2024
सहफसली खेती किसानों की माली हालात को सुधारने में कारगर सिद्ध हो रही है. किसी कारणवश एक फसल खराब हो जाए, तो उस के नुकसान की भरपाई दूसरी फसल से हो सकती है.
डा. आरएस सेंगर, आकांक्षा सिंह और आदित्य पाठक
गन्ने के साथ सहफसली खेती

एक ही खेत में एक से ज्यादा फसलें पुरानी परंपरा है, जैसे गेहूंचना एकसाथ उगाना. मुख्य फसल की 2 पंक्तियों के बीच में जल्दी पकने और बढ़ने वाली घनी फसलें बोई जा सकती हैं. स्तंभ आकार के औषधि पौधे, जो बड़े हैं, उन के नीचे बेल वाली फसलें जैसे करेला आदि लगा सकते हैं. छाया की जरूरत वाली फसलें, जैसे अदरक, सफेद मूसली, अश्वगंधा, हलदी आदि लगा कर अधिकतम भूमि का प्रयोग कर के उत्पाद की क्वालिटी के साथ शुद्ध लाभ बढ़ाया जा सकता है.

किसी कारणवश एक फसल खराब हो भी जाए, तो उस के नुकसान की भरपाई दूसरे उपाय से हो सकती है. अतः जहां तक संभव हो, सहफसल खेती किसानों को लगानी चाहिए, जैसे आजकल किसान गन्ने के साथ सहफसल खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

शरदकालीन गन्ने के साथ सहफसल 

गन्ना और आलू: 90 सैंटीमीटर की दूरी पर गन्ना (बीज दर 6 टन प्रति हेक्टेयर) और बीच में आलू की 2 पंक्तियां 30-30 सैंटीमीटर की दूरी पर बोएं.

गन्ने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का क्रमश: 150:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और आलू के लिए 120:80:100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें.

आलू उत्पादकता 275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गन्ना 92 टन प्रति हेक्टेयर.

लाभ लागत अनुपात: 1.69.

गन्ना और सरसों: 90 सैंटीमीटर पर गन्ना (बीज दर 6 टन प्रति हेक्टेयर और बीच में सरसों) की 2 पंक्तियां 30:30 सैंटीमीटर की दूरी पर बोएं.

この記事は Farm and Food の January Second 2024 版に掲載されています。

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