![बागबानी : शहतूत की खेती](https://cdn.magzter.com/1400326928/1712912062/articles/jwj-UwPBM1712919030293/1712919323557.jpg)
किसान नकदी फसल के रूप में अगर शहतूत की नर्सरी तैयार करें और खेती की तरफ कदम बढ़ाएं, तो वे अपने हालात को सुधार सकते हैं. शहतूत की पत्तियों से कीटपालन करने के इच्छुक किसान रोजगार के बेहतर अवसर ले सकते हैं. रेशम कीटपालन करने वालों को शहतूत की पत्तियों की जरूरत पड़ती है. किसान शहतूत की खेती कर कीट पालें, तो वे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
रेशम कीटपालन के व्यवसाय में 50 फीसदी खर्च पत्तियों पर ही हो जाता है, जिस पर रेशम कीट का जीवनचक्र चलता है. इसी जीवनचक्र में ये कीट रेशम के कोए को बनाते हैं. रेशम का कोया 300 से 400 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बेचा जा सकता है.
शहतूत की नर्सरी तैयार करना
हम सभी जानते हैं कि पेड़पौधे लगाने के लिए हमें स्वस्थ पौधों पर आश्रित रहना होता है और हम एक अच्छी नर्सरी से ही अच्छा पौधा प्राप्त कर सकते हैं. शहतूत के पौधे को तैयार करने की अनेक विधियां हैं :
- बीज द्वारा
- ग्राफ्टिंग द्वारा
- लेयरिंग द्वारा
- कटिंग द्वारा
कम लागत में उच्च गुणवत्ता के पौधे कटिंग विधि से ही तैयार किए जाते हैं. उन्नत किस्म के शहतूत की कटिंग तैयार करने के लिए 6 से 9 महीने पुरानी टहनियों को काट लेते हैं और उन टहनियों को छाया में रखते हैं, जिस से कि सूखने न पाएं. फिर टहनियों को 6-8 इंच लंबी 45 डिगरी त्रिकोण पर तेज धार के चाकू या सिकटियर से काट लेते हैं, जिस से सिरे पर टहनियों का छिलका न निकलने पाए.
कटिंग करते समय यह ध्यान रहे कि वहां की टहनी लें, जिस की मोटाई तकरीबन 22 सैंटीमीटर या एक पैंसिल जितनी मोटी हो और उस में 4-5 बड (कली) हों.
この記事は Farm and Food の April First 2024 版に掲載されています。
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
![जून महीने में खेतीकिसानी के काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/BciAaXsop1718695442091/1718695664784.jpg)
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
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ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
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'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
![धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/2wzy0EhyV1718694927530/1718695087369.jpg)
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
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खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
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बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
![मूंगफली की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/DpZwOkZXn1718694321141/1718694469983.jpg)
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.