हलदी में सर्वाधिक मात्रा में स्टार्च पाया जाता है. इस में 13.01 फीसदी पानी, 6.03 फीसदी प्रोटीन, 5.01 फीसदी वसा, 69.04 फीसदी कार्बोहाइड्रेट्स, 2.06 फीसदी रेशा के साथ 13.05 फीसदी खनिज लवण की मात्रा पाई जाती है.
हलदी का भारत सब से बड़ा उत्पादक देश है. हलदी का निर्यात दुनिया के तमाम देशों में किया जाता है. नकदी फसल मानी जाने वाली हलदी की खेती कर किसान कम लागत और कम मेहनत में अधिक मुनाफा ले सकते हैं.
इस की खेती के लिए नम एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. इस की फसल अकसर छायादार फसलों के साथ बोई जाती है. इस से हलदी के पीलेपन में वृद्धि होती है और फसल उत्पादन अधिक प्राप्त होता है.
हलदी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी जीवाश्म वाली रेतीली व दोमट मटियार मानी गई है, जिस में उचित जल निकासी की व्यवस्था हो. अगर उचित जल निकासी की व्यवस्था नहीं है, तो हलदी की खेती मेंड़ बना कर भी की जाती है.
हलदी की प्रमुख प्रजातियां
देश के अलगअलग क्षेत्रों के लिए हलदी की कई प्रजातियां उपयुक्त मानी गई हैं, जिन में वहां की मिट्टी व जलवायु के अनुसार अधिक उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है, लेकिन हलदी की कुछ प्रमुख प्रजातियां, जो सभी जगहों पर एकसमान उपजाई जा सकती हैं, उन में नरेंद्र हलदी-1, नरेंद्र हलदी-2, नरेंद्र हलदी-3, रश्मि व राजेंद्र सोनिया प्रमुख मानी जाती हैं.
क्षेत्र विशेष के लिए सीओ-1 प्रजाति सब से मुफीद मानी गई है. यह प्रजाति 285 दिन में पक कर तैयार होती है और इस से लगभग 6 टन प्रति हेक्टेयर की उपज मिलती है. इस के अलावा सुगंधा, सुवर्णा, सुरोमा, सुगना, प्रजाति कृष्णा, रेखानूरी, पीसीटी-8 सिलांग आदि प्रमुख प्रजाति मानी गई हैं.
खेत की तैयारी व रोपण
この記事は Farm and Food の August First 2024 版に掲載されています。
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.