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कुछ वर्षों पहले की बात है, मेले और बाजारों में बंदर के खेल, सांप और नेवले की लड़ाई दिखाने वाले मदारी आते थे. इन की खास बात यह होती थी कि देखने वालों की भीड़ जुटाने के लिए इधरउधर की कहानी सुनाते रहते थे. भीड़ इंतजार करती रह जाती थी पर वे सांप और नेवले की लड़ाई नहीं दिखाते थे. सोशल मीडिया पर भी इस तरह का रिवाज चलता है. कई बार थंबनेल पर जो लिखा जाता है वह वीडियो में दिखाया नहीं जाता है या बहुत कम समय में दिखा कर वीडियो खत्म कर दिया जाता है.
जिस तरह से मदारी के लिए भीड़ जुटानी जरूरी होती है और वह सांप व नेवले की नकली लड़ाई दिखाने के बहाने तमाम लोगों को जुटाता है वैसे ही सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर्स अपने नकली झगड़े दिखाने का काम करते हैं. यही नहीं, चुनावप्रचार के दौरान नेता भी एकदूसरे के आमनेसामने बहस के लिए चुनौती देने का काम करते हैं. इन सब का उद्देश्य केवल लोगों को अपने से जोड़ने का होता है. सोशल मीडिया पर अपनी कीमत बढ़ाने के लिए फौलोअर्स चाहिए होते हैं जैसे मदारी को खेल दिखाने के लिए भीड़ चाहिए होती है.
सोशल मीडिया पर ऐसे ही खलिहर युवाओं की भीड़ रहती है जो इस तरह के नकली झगड़ों को देखने के लिए उमड़ पड़ती है. भीड़ जुटाने की यह ट्रिक सदियों पुरानी है. सोशल मीडिया के इस दौर में यह नए रंगरोगन के सहारे पेश की जाती है. राखी सावंत ने इस तरह के झगड़े और आरोप लगा कर अपने को सोशल मीडिया पर सक्रिय रखा यूट्यूबर और मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी और विवेक बिंद्रा के बीच की जंग कुछ इसी तरह की थी. दोनों ही एकदूसरे से खुद को बड़ा दिखाने की होड़ में लड़ रहे थे.
विवेक बिंद्रा और संदीप माहेश्वरी का झगड़ा
この記事は Mukta の September 2024 版に掲載されています。
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