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गुजरात का जलतंत्र
दो दशकों के भीतर भारी जल संकट वाले राज्य से पर्याप्त पानी की उपलब्धता वाले सूबे में तब्दील होने के पीछे सिर्फ नर्मदा कैनाल नहीं है, ऐसा वहां के दूरदर्शी नेतृत्व की वजह से मुमकिन हुआ
पवित्र गंगा की अवरुद्ध जलधारा
गंगा की सफाई की कोशिशें पहले भी कई बार हुई हैं. लेकिन कमी भी इस तरह मिशन का स्वरुप उसे नहीं मिला, और अब प्रधानमंत्री खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं
नंदीग्राम का संग्राम
कोलकाता से लगभग 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में नंदकुमार क्रॉसिंग पर, चार दिशाओं में बंटने से पहले हाइवे एक शानदार लूप लेता है. वैसे, कौन-सा मोड़ नंदीग्राम लेकर जाएगा इसे बताने वाले साइनबोर्ड तो गिने-चुने हैं, पर सियासी संदेश वाले साइनबोर्ड्स की भरमार हैं. इनमें से दो होर्डिंग्स अन्य पर हावी हैं.
आखिर कैसे बुझे भारत की प्यास
देश एक गंभीर जल संकट के मुहाने पर खड़ा है. इससे बचने के लिए हमें तेजी से और मिलकर प्रयास शुरू करने होगे
दक्षिण का गान
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2021 में जीवन के हर क्षेत्र के वक्ताओं ने मंच संभाला-नेता, एंटरटेनर, उद्योगपति और समाजसेवी. लेकिन 12 और 13 मार्च को चेन्नै में संपन्न इस दो दिवसीय आयोजन में चर्चा का मुख्य विषय तो तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और केरल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव ही थे. सियासत और अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस से लेकर महामारी के बाद के परिवेश के लिए भारत के ब्लूप्रिंट पर चर्चा-कॉन्क्लेव ने कितने ही विषयों को नजदीक से जाकर पकड़ा
जहां महिलाओं का बोलबाला है
साल दर साल जल संकट से जूझ रहे गुजरात के एक गांव की महिलाओं ने पाइप से जल आपूर्ति का प्रबंधन अपने हाथों में लिया और उनकी किस्मत बदल गई
बूंद-बूंद बहुमूल्य
भारत में दूर-दराज के कम बारिश के इलाकों से ज्यादा कौन समझेगा इसकी कीमत! अब यहां के किसानों को भी एहसास हो गया है कि टेक्नोलॉजी, अपना समुदाय और संसाधनों में साझेदारी ही उनकी बेहतरी का मंत्र
परवाज की ताकत
बिहार सरकार का सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का फैसला पुलिस बल में एक बड़े बदलाव का सबब बन रहा
दवा के अवैध कारोबार का केंद्र बना आगरा
तकरीबन 11 राज्यों में नशे के इस्तेमाल में आने वाली और नकली दवा की सप्लाइ और कालाबाजारी का केंद्र बना उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक नगर
ओटीटी पर लगाम
ओटीटी कंटेंट रचने वाले इसके लिए सरकार के दिशानिर्देशों को लेकर खास परेशान नहीं
नया खेवनहार
उत्तराखंड में 10 मार्च को जब सुबह दस बजे भाजपा पार्टी मुख्यालय में विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं का जुटना शुरू हुआ तो किसी को भी इस बात की भनक नहीं थी कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.
एलआइसी की कितनी कीमत
आइपीओ के जरिए एलआइसी को बाजार में लाने से बहुत कुछ मिलेगा और राजकोषीय घाटे को काबू में लाना भी कम आकर्षक परिणति नहीं है लेकिन इसके लिए कई अड़चनों से पार पाना होगा
आखिर नौकरियां कहां हैं?
अपने दशक भर लंबे कार्यकाल में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का ममता बनर्जी का दावा निराशाजनक आंकड़ों से रू-ब-रू
व्यापम की वापसी?
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (एमपीपीईबी), जिसे व्यापम कहा जाता है, की ओर से आयोजित एक भर्ती परीक्षा के परिणामों में सिलसिलेवार संदेहास्पद 'संयोग' की खबर सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू कर दी गई है.
दिव्य भव्य कुंभ हरिद्वार 2021
उत्तराखंड की पवित्र नगरी स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ तीर्थयात्रियों का स्वागत करती है
जेब कटने का पूरा इंतजाम
जीवन जीने की लागत तो बढ़ रही है लेकिन सरकारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई तेजी से गिर रही है. इस विरोधाभास के पीछे आखिर क्या है?
गांधी परिवार का अकेलापन
सियासी गुमनामी और अंदरूनी बगावती से मुकाबिल गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ खोता दिखाई दे रहा है. उनका भविष्य अब आने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों पर निर्भर
संवेदनाओं की सियासत
एनजीटी के एक आदेश के बाद पुलिस की कार्रवाई से राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण निषाद समुदाय से हमदर्दी जताने की राजनीतिक दलों में लगी होड़
खालिस्तान का साया
हाल की कुछ गिरफ्तारियों से संकेत मिले हैं कि भारत में अपराधियों के स्थानीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर पाकिस्तान फिर से खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहा है. विदेश में बैठे अलगाववादियों के लिए किसान आंदोलन एकजुट होने का सबब बन सकता है
मंदिरों की दौड़
भाजपा नेताओं के लिए किसी भी राज्य में मंदिरों और आश्रमों में हाजिरी लगाना, बेशक एक आम प्रथा रही है. लेकिन पश्चिम बंगाल के चुनाव अभियान में इस व्यग्रता और प्रतिबद्धता ने नए स्तर को छुआ है.और सिर्फ राम और हनुमान (या पार्टी के अधिक कट्टर समर्थक उन्हें बजरंग बली कहना ज्यादा पसंद करते हैं) के मंदिरों में नहीं बल्कि नेता, खासकर भाजपा और संघ के वीवीआइपी नेता, अब अपने मार्ग में पड़ने वाले काली और दुर्गा के मंदिरों में भी रुककर मत्था टेक रहे हैं.
आरक्षण की चुनावी बिसात
ओबीसी को कई उपश्रेणियों में बांटकर 27 फीसद आरक्षण में वंचित अति पिछड़ों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए रोहिणी आयोग की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले आने की संभावना
खदबदाती खदाने
मध्य प्रदेश सरकार ने 22 जनवरी को मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में एक संशोधन को अधिसूचित कर दिया. इस संशोधन के जरिए राज्य के इस्पात तथा अन्य उद्योगों में इस्तेमाल किए जाने वाले डोलोमाइट सरीखे 'गौण खनिजों' की खुदाई के लिए परमिट जारी करने की प्रक्रिया में फेरबदल कर दिया गया.
जेब से जुड़ा ज्वलंत मुद्दा
पेट्रोल-डीजल की छलांग लगाती कीमतों से महंगाई बढ़ने और लोगों के खर्च में कटौती करने की आशंका है, लिहाजा, महामारी से देश की जर्जर अर्थव्यवस्था की बहाली होगी मुश्किल
डरावने कानूनों का फंदा
असहमति को दबाने के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है बेहद सख्त कानूनों का इस्तेमाल
भविष्य की राह का महा सेतु
प्राकृतिक संसाधनों के मामले में धनी राज्य होने के बावजूद सामाजिक-राजनैतिक अस्थिरता के चलते असम अपनी संभावनाओं का पूरा दोहन कर पाने में नाकाम रहा है. इसके बावजूद कई मानकों पर विकास की रफ्तार ने यहां ध्यान खींचा है, खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग के मोर्चे पर होने वाली तरक्की उल्लेखनीय है
रक्षकों को जान के लाले
वनरक्षकों को असलहों से लैस करना चाहिए? वनकर्मियों पर हमले की कुछे घटनाएं असंगत क्षेत्रीय कानूनों पर दोबारा सोचने की जरूरतों की ओर इशारा करती हैं
संसार की छत पर घटता टकराव
दस महीने लंबी तनातनी के बाद भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख से अपने सैनिकों को पीछे बुलाना शुरू कर दिया है. यह कितना महत्वपूर्ण है और इसने जमीनी हकीकत को बदलने में कितनी भूमिका निभाई है
मुश्किल दौर बीत गया क्या?
कोविड का ग्राफ भले गिर रहा हो और इसका खुशी की वजह हों, लेकिन संक्रमण की नई लहर का खतरा तथा वायरस के नए ज्यादा घातक रूपों का उभरना बताता है कि महामारी अब भी हमारे बीच मौजूद है
तूफान में फंसा हवाई सफर
देश की विमान सेवाएं अगले वित्त वर्ष के अंत तक कुल 1.3 लाख करोड़ रुपए के जबरदस्त घाटे के चपेट में, हवाई किराया बढ़ने से मिली थोड़ी राहत, मगर काफी नहीं
विरोध की जगह नहीं?
राजद्रोह के आरोप में बेंगलूरू की 21 वर्षीया पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी ने लोकतंत्र में नागरिकों के विरोध के अधिकार का हनन करने वाले एक कठोर कानूनी प्रावधान पर फिर से बहस छेड़ दी है.