दलितों-पिछड़ों व जाटों पर बड़ा 'दांव' लगा सकती है बीजेपी
DASTAKTIMES|August 2023
बीजेपी आलाकमान को ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को समाजवादी पार्टी से निकालकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल कराने के बाद अब सपा के एक और मित्र रालोद मुखिया जयंत चौधरी भी रास आने लगे हैं। यह और बात है कि अभी जयंत, यूपी में सपाकांग्रेस के संभावित गठबंधन के साथ नजर आ रहे हैं लेकिन ऐन मौके पर जयंत चौधरी भी 'राजभर' बन जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।
अजय कुमार
दलितों-पिछड़ों व जाटों पर बड़ा 'दांव' लगा सकती है बीजेपी

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी सबसे आगे चल रही है। वह सब कुछ ठोक - बजा कर प्रत्याशियों का फैसला करने के लिए जमीन से लेकर बंद कमरों तक में रणनीति बना रही है। टिकट बांटते समय तमाम बातों का ध्यान रखा जायेगा, लेकिन अबकी से प्रत्याशियों का चयन करते समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी अहम भूमिका रहेगी, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में नहीं दिखाई दी थी। इसकी वजह यह है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के 2017 के विधान सभा चुनाव मोदी का चेहरा आगे करके जीता था और चुनाव नतीजे आने के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया था, इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव के समय टिकट बंटवारें में न उनसे राय ली गई थी और न ही उन्होंने इसमें दखलंदाजी की थी, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव बीजेपी ने योगी को आगे करके लड़ा था और उम्मीद से कहीं अधिक अच्छा प्रदर्शन पार्टी का रहा था, जिसके बाद पार्टी के भीतर योगी का कद काफी बढ़ गया था। इसी के चलते अबकी से टिकट बंटवारें के समय योगी को आलाकमान अनदेखा नहीं कर पाएगा, खासकर पूर्वांचल में योगी की पसंद-नापसंद का ज्यादा ख्याल रखा जा सकता है, यानी उनका सिक्का भी चलेगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आज की तारीख में पार्टी के भीतर योगी का कद प्रधानमंत्री मोदी के बाद नंबर दो का समझा जाने लगा है। वह न केवल दमदार तरीके से सरकार चला रहे हैं, बल्कि कई राज्यों के चुनाव प्रचार में वह पार्टी के लिए तुरूप का इक्का भी साबित हो चुके हैं।

この記事は DASTAKTIMES の August 2023 版に掲載されています。

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शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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