आजादी के पचहत्तर वर्षों में से कुल जमा दस भारतीय नाटकों का चयन करना सचमुच में बहुत ही मुश्किल था, फिर भी मैंने एक कोशिश जरूर की है. ये सभी नाटक हमारे यहां की पांच भाषाओं- बोलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, किसी एक भाषा की रचना होने के बावजूद ये अलग-अलग भाषाओं में अनूदित और मंचित होते आए हैं. मेरा ख्याल है कि ये तथ्य हमें एक तार्किक और भरोसेमंद पैमाना देते हैं, यह जांचने का कि ये नाटक विषयवस्तु और नाटकीयता के स्तर पर सार्वभौमिक असर छोड़ पाने में कामयाब रहे हैं. संयोगवश यह भी एक अहम पहलू है कि यदि सबसे ज्यादा बार खेले गए नाटकों की एक सूची तैयार की जाए तो यही नाटक पहले दस नाटकों के क्रम में आएंगे.
आइए, काल-क्रम की दृष्टि से उन नाटकों पर एक संवाद किया जाए.
सबसे पहले हम धर्मवीर भारती के काव्य नाटक अंधा युग का नाम लेना चाहेंगे. द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका की पृष्ठभूमि में पौराणिक ग्रंथ महाभारत को आधार बनाकर मूल रूप से एक रेडियो नाटक के रूप में लिखा गया था यह नाटक. 1954 में प्रकाशित अंधा युग भीषण युद्ध के बाद की निराशा, हताशा और ईश्वर के प्रति अनास्था का जीवंत दस्तावेज है. यह भी एक संयोग ही है कि इसी के आसपास फ्रेंच भाषा में लिखा गया चर्चित नाटककार सेम्युल बैकेट का नाटक वेटिंग फॉर गोदो भी इसी कथ्य को सामने लाता है. एक नाटक में अगर ईश्वर की मृत्यु है तो दूसरे में उसकी प्रतीक्षा है और वह कभी नहीं आता. ऐसे शाश्वत कथ्य के कारण अंधा युग आज तक लगातार हर भाषा में मंचित होता आ रहा है.
शाश्वत कथ्य की बात करें तो 1958 में रचित और प्रकाशित मोहन राकेश का आषाढ़ का एक दिन भी कहीं पीछे नहीं ठहरता. एक कलाकार के लिए सत्ता या फिर अपनी कला में से किसी एक का चयन ऐसा जटिल प्रश्न है जो हमेशा उसके सामने उठता रहता है. नाटक के नायक कवि कालिदास के बहाने आज के कलाकार या रचनाकार का आंतरिक द्वंद्व क्या आज के समय में और ज्यादा मुखर नहीं हो उठा है ? राकेश का ही एक अन्य नाटक आधे-अधूरे बेशक समय के साथ बासी पड़ जाए लेकिन आषाढ़ का एक दिन सदा उतना ही सार्थक और समकालीन रहेगा.
この記事は India Today Hindi の January 04, 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の January 04, 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
शोख सनसनी दिल्ली की
आर्ट क्यूरेटर, परोपकारी और सोशल मीडिया सनसनी शालिनी पासी नेटफ्लिक्स की सीरीज फैबुलस लाइव्ज वर्सज बॉलीवुड वाइव्ज में शिरकत करने के बाद मिली शोहरत का मजा ले रहीं
पाइ पटेल की भारत यात्रा
यान मार्टेल के चर्चित उपन्यास लाइफ ऑफ पाइ पर फिल्म भी बनी. और अब यह पुरस्कार विजेता नाटक
कला कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द की
धूमीमल गैलरी में चल रही प्रदर्शनी ज्वॉइनिंग द डॉट्स दिल्ली के सांस्कृतिक दिल कनॉट प्लेस के चिरस्थायी आकर्षण को एक तरह की आदरांजलि
हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.