भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 26 अप्रैल के फैसले से राजस्थान में रणथंभौर नेशनल पार्क के नजदीक शेरपुर गांव के सरपंच ओम सैनी से ज्यादा खुश कोई न था. महज 10 महीने पहले जून 2022 में शीर्ष अदालत ने ईको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) या पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर पूर्ण रोक लगा दी थी, और सभी संरक्षित क्षेत्रों की निर्धारित सीमा के कम से कम एक किलोमीटर दायरे की पट्टी को संबंधित ईएसजेड में शामिल करना अनिवार्य बना दिया था. इसका मतलब यह था कि शेरपुर के 8,000 बाशिंदों में से कोई भी राज्य वन विभाग के प्रमुख और प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (पीसीसीएफ) की इजाजत के बगैर घर तो छोड़िए, एक शौचालय का निर्माण तक नहीं कर सकता था.
सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने पिछले आदेश में ढील दे दी है. मगर शेरपुर के ग्रामीणों को जिससे राहत मिली सकती है, वह इलाके के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए तबाही की सूनामी बरपा सकता है. नेशनल वाइल्डलाइफ डेटाबेस के मुताबिक, देश में 998 संरक्षित क्षेत्रों का जाल है, जिसमें 106 नेशनल पार्क, 567 वन्यजीव अभयारण्य, 105 संरक्षण रिजर्व और 220 सामुदायिक रिजर्व हैं. जनवरी 2023 की स्थिति के मुताबिक, वे देश के 5.3 फीसद भौगोलिक इलाके में फैले हैं. इन संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता को नुक्सान पहुंचाने वाली निर्माण तथा विकास गतिविधियों के खिलाफ बफर मुहैया कराने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एनओईएफसीसी) संबंधित राज्य सरकारों के सर्वे और प्रस्तावों के आधार पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत ईएसजेड अधिसूचित करता रहा है.
この記事は India Today Hindi の July 12, 2023 版に掲載されています。
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