![फूट डालने वाली संहिता फूट डालने वाली संहिता](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1691407985/articles/oUWUNnEv21691475438575/1691476101359.jpg)
प्र. क्या भारत को एक समान नागरिक संहिता की जरूरत है? अगर है, तो क्यों?
पिंकी आनंद: यह सही दिशा में बहुत समय से टलता आ रहा कदम है. समान नागरिक संहिता सभी लोगों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करने वाले मजबूत कानूनी ढांचे के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण का संतुलन बिठाने के लिए बेहद अहम और जरूरी है. यूसीसी सभी नागरिकों को समान अधिकार और कानूनी उपाय देते हुए समग्र रूप से जुड़े हुए समाज के ऊपर कानून का शासन लागू करने को सुगम और आसान बनाएगी. अपने मूल में यह मानवीय गरिमा, कानून-सम्मतता और व्यक्तियों के स्वायत्तता के अधिकार से प्रेरित है. समाज की एकजुटता इस पर निर्भर करती है कि कानून के शासन की कल्पना कैसे की जाती है और उसके लक्ष्य कैसे हासिल किए जाते हैं: यह निर्देशात्मक जरूरत है. वह पदानुक्रम जो विधिक कानून के ऊपर धार्मिक कानून और रीति-रिवाजों को तरजीह देता है, वह भारत में न्याय के प्रसार को बुनियादी तौर पर अलोकतांत्रिक बना देता है. पर्सनल लॉ औपनिवेशिक फरमानों को बनाए रखते हैं और नागरिकों व खासकर महिलाओं के पास अपने स्वाभाविक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों के उपाय का कोई साधन नहीं छोड़ते. पर्सनल लॉ में कट्टर मतों पर आधारित प्रावधान, जो महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं, पितृसत्तात्मक और धार्मिक उत्पीड़न के दुष्चक्र को संरक्षित करते हैं. यह हमारे संविधान की नैतिकता के विपरीत है. महिलाओं के अधिकारों को खतरे में डालने वाली बहुविवाह और असमान विरासत सरीखी प्रथाओं को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत सर्वोपरि है. कानून का सामंजस्य ऐसी जरूरत है जिसकी प्रेरणा निर्देशात्मक सिद्धांतों से मिलती है और जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी हमें जी-जान से कोशिश करने की नसीहतें दी हैं और यही कानूनों का सामंजस्य महिलाओं और हाशिए के समुदायों के साथ गरिमापूर्ण बर्ताव की व्यवस्था का बड़े पैमाने पर प्रसार करेगा.
この記事は India Today Hindi の August 16, 2023 版に掲載されています。
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![तन्हाई में तारों से बातें तन्हाई में तारों से बातें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/KkYi-s4Uf1739799502351/1739799613388.jpg)
तन्हाई में तारों से बातें
पूर्वा नरेश ने दोस्तोएव्स्की की कहानी व्हाइट नाइट्स के अपने म्यूजिकल रूपांतरण चांदनी रातें में नौटंकी शैली का उपयोग किया
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धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी
विश्व शतरंज चैंपियन डी. गुकेश और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वालीं तीरअंदाज शीतल देवी लोगों की नई पसंद हैं. पुरुष-महिला क्रिकेटर तो खैर शीर्ष पर हैं ही. सिंधु और नीरज भी अपनी सूची में दूसरों से काफी आगे रहते हुए चोटी पर
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आठ साल से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी आदित्यनाथ ने लगातार 10वीं बार सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री का दर्जा हासिल कर दर्शा दिया है कि देशभर में उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं
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अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने फिल्म मिसेज में दमदार काम किया है, जो 2021 की मलयालम फिल्म द ग्रेट इंडियन किचन की हिंदी रीमेक है
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अब पंजाब की पहरेदारी
अरविंद केजरीवाल के लिए सवाल यह नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का भविष्य है या नहीं. उनके लिए प्रश्न यह है कि पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक आइडिया के रूप में प्रासंगिक रहेगी या नहीं. दिल्ली में पार्टी की हार के तीन दिन बाद 11 फरवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब के 95 में से 86 आप विधायकों के साथ उनकी आधे घंटे बैठक हुई. माना जाता है कि इसमें केजरीवाल ने बताया कि पार्टी के भविष्य को लेकर उनके मन में क्या है.
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चौकन्ना रहने की जरूरत
आम तौर पर मोदी सरकार की विदेश नीति लोगों को पसंद आती है लेकिन कई लोगों का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा पर भारत की प्रतिक्रिया को लेकर भी लोग फिक्रमंद
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हमारे गेहुंएपन का स्वीकार
एक मजहब का धर्म रु चुनने की प्रक्रिया के बहाने हमें सहिष्णुता और स्वीकार के सार्वभौमिक धर्म की सीख दे जाती है एडवर्ड बर्गर की कॉन्क्लेव
![भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/3573rr2xc1739796211678/1739796309010.jpg)
भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 फरवरी को जब भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तो उनका उत्साह हमेशा के मुकाबले एक अलग ही मुकाम पर था.
![विकास की कशमकश विकास की कशमकश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/NSBwWnhnm1739797282517/1739797660783.jpg)
विकास की कशमकश
एक ओर जहां कमजोर मांग, कम निवेश और दुनियाभर में अनिश्चितता की वजह से भारत की वृद्धि पर असर पड़ रहा है, वहीं आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी कर में मिली राहत को ढक रही है. इन सबकी वजह से आम आदमी का संघर्ष और आर्थिक परेशानियां बढ़ रहीं
![उथल-पुथल का आलम उथल-पुथल का आलम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/R77_jKKQS1739798498314/1739798692561.jpg)
उथल-पुथल का आलम
सामाजिक-राजनैतिक सुधारों के लिए सरकार को मजबूत समर्थन मिल रहा मगर लोकतंत्र, धार्मिक ध्रुवीकरण और महिला सुरक्षा को लेकर चल रही खदबदाहट से इससे जुड़ी चिंताएं उजागर