उत्कृष्टता की अपनी परंपरा को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) दिल्ली और आगे बढ़ा रहा है. उच्च शिक्षा में आ रहे बदलावों के साथ कदमताल करते हुए वह शोध, नवाचार, हुए वह शोध, नवाचार, कोलैबोरेशन और टाइअप, पाठ्यक्रम की रीडिजाइनिंग और उद्योग - अकादमिक जगत की भागीदारियों में अव्वल मोर्चे पर रहा है.
1961 में स्थापित सात सबसे पहले आइआइटी में से एक आइआइटी दिल्ली को 2018 में 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' (प्रतिष्ठित संस्थान) का दर्जा देकर लगभग पूरी स्वायत्तता दी गई. कॉलेज कई अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरल प्रोग्राम पेश करता है.
आइआइटी दिल्ली के मुकुट में इसी साल जून में एक और नग जड़ गया. दरअसल एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) 2023 ने उसे समग्र श्रेणी में सभी शैक्षणिक संस्थाओं में तीसरी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग दी; विषयवार श्रेणी में उसे इंजीनियरिंग के तहत भारत की दूसरी सबसे अच्छी संस्था आंका गया.
तकनीकी शिक्षा के लिए आइआइटी दिल्ली कई कारणों से सबसे अव्वल संस्थाओं में से एक है. संस्था के पास इंजीनियरिंग के कई विषयों में सुस्थापित प्रोग्राम हैं, जिनमें सिविल, केमिकल, इलेक्ट्रिकल, मेकैनिकल और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग शामिल हैं लेकिन यह यहीं तक सीमित नहीं है. डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर नारायणन डी. कुरूर कहते हैं, “इनके अलावा, कई नए और विशिष्ट क्षेत्र हैं जिनमें हमने दूसरों पर शुरुआती बढ़त बना ली थी. इनमें बायोकेमिकल और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, एनर्जी स्टडीज, एप्लाइड रिसर्च इन इलेक्ट्रॉनिक्स और एटमोस्फेरिक साइंसेज, रूरल टेक्नोलॉजी और ट्रांसपोर्ट रिसर्च शामिल हैं." अभी हाल में संस्था ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में प्रोग्राम शुरू किया और रोबोटिक्स में इंटरडिसिप्लिनरी प्रोग्राम की शुरुआत की है.
この記事は India Today Hindi の August 16, 2023 版に掲載されています。
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