जिन खेल आयोजनों में किसी देश की भागीदारी योग्यता के आधार पर कम और भूगोल या साझा औपनिवेशिक अतीत के कारण ज्यादा तय होती है, उन्हें ओलंपिक के मुकाबले अक्सर कम साख हासिल होती है. फिर भी एशियाई खेलों को अनदेखा करना मूर्खतापूर्ण होगा. राष्ट्रमंडल खेलों के विपरीत, जहां वह लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा है, भारत को एशियाई खेलों की पदक तालिका के शीर्ष पांच में आने के लिए भी जूझना पड़ा है. बैडमिंटन, टेबल टेनिस, मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, कुश्ती और तीरअंदाजी सरीखे खेलों में भारतीय एथलीट दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों का सामना करते हैं, और यह 10 महीने बाद होने वाले पेरिस ओलंपिक के लिए आदर्श तैयारी है.
सोनी स्पोर्ट्स, जिसने प्रसारण और स्ट्रीमिंग अधिकार हासिल किए हैं, 'इस बार, सौ पार' नारे के साथ प्रचार अभियान चला रहा है. उल्लास और उत्साह से भरा यह नारा पिछले चार खेलों में भारत के प्रदर्शन को देखते हुए बहुत ज्यादा आशावादी लग सकता है (देखें एशियाड में भारत). देश ने सबसे अच्छा प्रदर्शन 2018 में किया जब उसने 16 स्वर्ण पदक सहित कुल 70 पदक जीते और तालिका में आठवें पायदान पर रहा. अब हांग्जो (23 सितंबर-8 अक्तूबर) में हो रहे खेल के 19वें संस्करण में 45 देशों के 12,500 अधिक एथलीट 40 खेलों में हिस्सा ले रहे हैं. इनमें ब्रिज, जिसमें भारत ने 2018 में सोना जीता था, और कबड्डी, वुशु, कुराश, जू-जित्सु और सेपक टकरा, जिसमें सचमुच देश की नुमाइंदगी है, सरीखे एशिया के मनमाफिक खेल भी हैं. ई-स्पोर्ट पदक वाले मुकाबले के तौर पर पदार्पण कर रहे हैं, जिनमें भारत ने 15 गेमर भेजे हैं. टी-20 क्रिकेट की भी एंट्री हो रही है, वैसे ज्यादा फायदेमंद ओडीआइ विश्व कप को तवज्जो मिलने के कारण पुरुषों की टीम से सुपरस्टार नदारद हैं.
この記事は India Today Hindi の October 04, 2023 版に掲載されています。
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सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"