पिछले कुछ वर्षों में राज्य को परेशान करने वाली ऐसी घटनाएं लगातार हो रही पालनपुर हादसा उसी श्रृंखला में नवीनतम घटना है. फिर ज्यादा देर नहीं लगी और हादसे ने राजनैतिक रंग ले लिया. पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाने लगीं और एक दूसरे को जिम्मेदार भी ठहराने लगीं.
विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया कि फ्लाइओवर का निर्माण करने वाली कंपनी को अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने 2017 में ब्लैकलिस्ट कर दिया था क्योंकि उसकी बनाई सड़कें मॉनसून की पहली बारिश में ही बह गईं थीं. कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने कहा, "सरकारी रिकॉर्ड में जीपीसी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कामकाज को लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज होने के बावजूद, 2021 में यह ठेका उसे दे दिया गया." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने 2019 चुनाव से से पहले भाजपा को करोड़ों रुपए का चंदा दिया था और यह ठेका एक प्रकार से उस उपकार को चुकाने के लिए दिया गया था.
भाजपा सरकार ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जीपीसी इन्फ्रास्ट्रक्चर को ठेका मिलने में सरकार और पालनपुर के शहरी स्थानीय निकाय की कोई भूमिका नहीं थी. एक शहरी योजनाकार जिन्होंने दो दशकों तक सरकार के साथ मिलकर काम किया है, बताते हैं कि सरकार ने ठेका किसी और कंपनी को दिया था लेकिन ब्लैक लिस्टेड जीपीसी ने उस कंपनी से सब कॉन्ट्रैक्ट (उप-ठेका) हासिल कर लिया.
एक ऐसा राज्य जिसने विकास के महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर रखे हों, वहां पुल ढहने की घटनाएं निर्माण की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी पर गंभीर सवाल उठाती हैं.
この記事は India Today Hindi の November 22, 2023 版に掲載されています。
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