राजधानी दिल्ली में उतरते नवंबर की चढ़ती ठंड के बीच तीन दिन साहित्य, संगीत और कलाप्रेमियों के लिए खासे सुकून देने वाले रहे. देश भर से खासकर उत्तर भारत से हजारों की तादाद में श्रोता अपने पसंदीदा लेखकों, कवियों, कलाकारों को सुनने, उनसे संवाद करने के लिए ध्यानचंद स्टेडियम आ पहुंचे थे. मौका था साहित्य आजतक के छठवें सालाना जलसे का. स्टेडियम के अलगअलग हिस्से में बने छह मंचों पर वक्ताओं को सुनने के लिए दीवानगी देखते ही बनती थी.
जलसे के दूसरे दिन दोपहर बाद हिंदी के मशहूर कथाकार उदय प्रकाश अपने सत्र के बाद जब मंच से उतरे तो उनके कहानी संग्रहों पर ऑटोग्राफ लेने और उनसे मिलने के लिए युवा पाठकों की कतार लगी थी. इसी तरह से कथाकार असगर वजाहत के सत्र हों या पूर्वोत्तर के और आदिवासी अंचल के लेखक-लेखिकाओं के, लोकप्रिय कवि हों, सिनेमा के कलाकार, हर तरह के स्वर को सुनने के लिए श्रोता मौजूद थे. एक सत्र में समलैंगिकता पर चर्चा के दौरान वक्ताओं और श्रोताओं के बीच अच्छा-खासा स्वस्थ संवाद हुआ. इन मंचों पर तीन दिन में यही कोई सवा सौ सत्र हुए. ओपन माइक पर सबको अपना रचनात्मकता चेहरा पेश करने की आजादी थी. इसके अलावा दी लल्लनटॉप शो के अड्डे पर खासकर युवा श्रोताओं की चौचक हलचल थी. वहां वक्ताओं- श्रोताओं के बीच संवाद की जीवंतता देखते बनती थी.
この記事は India Today Hindi の December 13, 2023 版に掲載されています。
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