इधर-उधर की न बात कर
दीपिका पादुकोण, 37 वर्ष
अभिनेत्री
दीपिका पादुकोण ने 21 की उम्र में ओम शांति ओम के साथ रुपहले परदे पर पदार्पण किया, जिसका निर्देशन महिला डायरेक्टर (फराह खान) ने किया था. यह बात उनकी नजर से नहीं चूकी कि दूसरी महिला डायरेक्टर (मेघना गुलजार की छपाक) के साथ काम करने में उन्हें करीब 13 साल लगे, जो उनकी प्रोड्यूस की गई पहली फिल्म भी थी. उनका कहना है कि शुरुआती सालों में उन्होंने लैंगिक गैरबराबरी पर गौर नहीं किया. मगर धीरे-धीरे एहसास हुआ कि 100 साल पुरानी इंडस्ट्री में यह कितनी गहराई से समाई है. चाहे मेहनताने में फर्क हो या हीरो की वैनिटी वैन को लोकेशन के नजदीक पार्क करना या पैक-अप के समय उनके शॉट को अहमियत देना, यह सब आम बात थी. ऐसा नहीं कि दीपिका कार्यस्थल को लेकर टेसुए बहा रही हैं. वे तो बस हकीकत सामने रख रही हैं. उनके शब्दों में, "हमें ख्याल रखना होगा कि यह कोई मर्दों के खिलाफ औरतों की बातचीत नहीं है, बल्कि दोनों की बराबरी के बारे में है."
दीपिका 2013 से चीजों को बदलने में सबसे आगे रहीं. वे कहती हैं, ‘‘अपनी यात्रा और काम के जरिए, और आज मैं जो असर डाल पाती हूं उसके जरिए, मैं समझना चाहती हूं कि मैं नैरेटिव बदलना कैसे शुरू कर सकती हूं." आज भारतीय सिनेमा की सबसे ज्यादा मेहनताना लेने वाली अभिनेत्री विज्ञापनों के लिए भारी-भरकम फीस वसूल करती हैं और अकेले भारत में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार करने वाली पहली हिंदी फिल्मों (पठान, जवान) में आई हैं. बेहतर भूमिकाओं और सौदों के लिए अब उन्हें मोलभाव नहीं करना पड़ता; वे अब खुद उनकी राह चले आते हैं. वे कहती हैं, "ज्यों ही वे देखते हैं कि आप कामयाब हैं, वे आपको संजीदगी से लेने लगते हैं." फिर भी वे मानती हैं कि जब उन्होंने यथास्थिति को चुनौती देना शुरू किया, तो उसका विरोध हुआ. “लोग आपको प्रोटेक्ट करने की कोशिश करते हैं. वे बदलाव से भयभीत हैं और टकराव से बचना चाहते हैं. यह 'उसे क्यों हाथ लगाता जो कि ठीकठाक चल रहा है' वाला रवैया है. मगर क्या कोई ठहरकर सोचता है कि हम इसे बेहतर कैसे बना सकते हैं?"
この記事は India Today Hindi の January 03, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の January 03, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं