आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा. यह ताकतवर टेक्नोलॉजी मौजूदा बिजनेस मॉडल को नया आकार देगी और नए मॉडल तैयार करेगी. अनुमान ये हैं कि एआइ की मद में 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित 967 अरब डॉलर का निवेश होगा. जैसे-जैसे हम एआइ के नए युग में कदम रख रहे हैं, अर्थव्यवस्था में कई नई अनोखी नौकरियां पैदा होंगी, और जो पहले बुनियादी किस्म की मानी जाती थीं, उनमें से कई पीछे छूट जाएंगी.
विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) की 'नौकरियों का भविष्य' (फ्यूचर ऑफ जॉब्स) रिपोर्ट में दुनिया भर के रोजगार बाजार का एक दिलचस्प अनुमान यह है कि भविष्य में मौजूदा नौकरियों में से लगभग एक-चौथाई पूरी तरह बदल जाएंगी. रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में करीब 75 फीसद कंपनियां एआइ को अपनाने के लिए तैयार हैं, जिससे रोजगार बाजार काफी हद तक बदल सकता है.
हालांकि, इनमें आधी कंपनियों को लगता है कि एआइ अपनाने से बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी. यह रुझान भारत में करीब एक हजार नियोक्ताओं के एक हालिया सर्वेक्षण से भी पुष्ट होता है. इस सर्वेक्षण में 85 फीसद कंपनियों का अनुमान है कि एआइ से अगले 1-5 वर्षों में नई नौकरियां पैदा होंगी और पुरानी किस्म की मौजूदा नौकरियों की भी गुणवत्ता में इजाफा होगा. इसके अलावा, में 77 फीसद नियोक्ताओं को उम्मीद है कि एआइ से रोजगार सुरक्षा बेहतर होगी और करियर के विकास में मदद मिलेगी. यही सकारात्मक नजरिया नौकरी तलाशने वालों में भी दिखता है, अनेक लोगों को उम्मीद है कि एआइ से कार्यकुशलता व्यवस्थित होगी, हुनर में खासा इजाफा आसान हो जाएगा, जटिल काम कर पाने की काबिलियत तैयार होगी और नई भर्तियों में अनुभव के बदले हुनर पर जोर बढ़ेगा.
この記事は India Today Hindi の January 17, 2024 版に掲載されています。
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