यावाकापडी, कुर्ग, कर्नाटक
शानदार ब्रह्मगिरि पर्वतमाला के किनारे दिलकश यवकापडी की पहाड़ी स्थित है. इन पहाड़ियों में अवकाश के पल बिताएं, झरने के किनारे कोई किताब पढ़ें या बालियात्रा रिज, मल्लम्मा बेट्टा और कोडागु (कुर्ग) की सबसे ऊंची चोटी, थडियांडामोल की सैर के लिए पैदल निकल पड़ें. कुर्ग के पहले चीफ कमिशनर दीवान बहादुर केटोलिरा चेंगप्पा के पुराने घर द बंगलो 1934 में ठहरें. एक कॉफी एस्टेट के भीतर पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस बंगले को उनके पड़पोते, रैलीस्ट अमृत थिमैया ने एक दशक तक विंटेज होमस्टे के रूप में चलाया था. हाल में इस बंगले के जीर्णोद्धार के बाद इसमें छह बड़े कमरे मेहमानों के लिए रखे गए हैं. अमृत की मां फैंसी घर का बना चॉकलेट और प्रामाणिक कोडवा व्यंजन परोसती हैं, जिसे देखकर सेलिब्रिटी शेफ गॉर्डन रामसे यहां पांडी (पोर्क) करी बनाने का तरीका सीखने के लिए खिंचे चले आए. यहीं पर अनचार्टेड सीजन 2 के इंडिया एपिसोड को फिल्माया गया था. मुख्य बंगले में चार कमरे हैं, जबकि पुराने गैराज को दो कमरों में बदल दिया गया है (12,000 रुपए प्रति जोड़ा, जिसमें नाश्ता और रात का खाना शामिल है; अनुरोध पर दोपहर का भोजन; बुक करने के लिए अमृत को 9901315437 पर कॉल करें).
कैसे पहुंचें: कन्नूर हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरें और द बंगलों 1934 तक 83 किमी ड्राइव करें
तुंगनाथ, उत्तराखंड
この記事は India Today Hindi の March 13, 2024 版に掲載されています。
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
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पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
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अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"