अपनी शर्तों पर काम करती नई पीढ़ी
India Today Hindi|April 10, 2024
नई पीढ़ी जेनरेशन जेड या जेन जी क्यों किसी डेस्क या नौकरी के बंधन को में खुद कड़ना नहीं चाहती
सोनाली आचार्जी
अपनी शर्तों पर काम करती नई पीढ़ी

महज 22 साल की रिया दासगुप्ता पहले ही तीन पूर्णकालिक नौकरियां कर चुकी हैं और अब चौथी नौकरी एक प्रकाशन में कर रही हैं. वे नौकरी छोड़ने को लेकर कोई शिकवा नहीं करतीं. कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में ग्रेजुएट रिया कहती हैं, "पहली दो नौकरियों में मेरे साथ काम करने वालों और सुपरवाइजरों से नहीं निभी. तीसरी में मुझे अधिक घंटों तक और सप्ताहांत में बिना किसी अतिरिक्त पारिश्रमिक के काम करने को कहा जाता था. मैंने अपने माता-पिता को काम के लिए जिंदगी और सेहत की परवाह नहीं करते देखा है. मैं वैसा नहीं करना चाहती. मैं ऐसे मौके चाहती हूं जो आगे बढ़ने का अवसर दें." दासगुप्ता की ही उम्र की मुंबई की श्रेया प्रसाद का भी नजरिया कुछ ऐसा ही है. उन्हें याद है कि उनके पिता बुखार में भी काम पर जाया करते थे. श्रेया कहती हैं, "उनके पास विकल्प नहीं था." उनके पिता को 30 साल की उम्र में कर्ज चुकाना था और एक बच्चे की परवरिश करनी थी. वे कहती हैं, "मैं बच्चा नहीं चाहती और मेरे पास पहले ही घर और कार है. मुझे पैसे के लिए नहीं, बल्कि संतुष्टि के लिए काम करने की सुविधा है. अगर मैं संतुष्ट नहीं हूं तो नौकरी छोड़ सकती हूं."

'बेबी बूमर्स' और जेन एक्स (जिनका जन्म क्रमशः 1946-1964 और 1965-1980 के बीच हुआ था) पीढ़ी के लोग रिया और श्रेया जैसी युवाओं पर नाक-भौंह सिकोड़ेंगे और उन्हें 'लापरवाह' पीढ़ी कहेंगे. माजरा यह है कि 'जेन जेड' खुद की परवाह कम नहीं कर सकती. यही बात दुनियाभर के नियोक्ताओं को बाल नोचने पर मजबूर कर रही है, क्योंकि उन्हें युवा पीढ़ी की बदलती प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाना है, जो पिछली पीढ़ी की तरह 'भागदौड़' नहीं करना चाहती या कॉर्पोरेट सफलता की तलाश में जिंदगी को कुर्बान नहीं करना चाहती. इसके बदले वह सार्थक, जोशीले काम को तरजीह देती है. शायद यही वजह है कि हाल ही में इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति की युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की दी गई सलाह पर आलोचनाओं की झड़ी लग गई. उस सलाह को लेकर अविश्वास और क्षोभ जताने से लेकर निर्मम मीम्स और चुटकुलों की बाढ़ आ गई.

この記事は India Today Hindi の April 10, 2024 版に掲載されています。

7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。

この記事は India Today Hindi の April 10, 2024 版に掲載されています。

7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。

INDIA TODAY HINDIのその他の記事すべて表示
लीक से हटकर
India Today Hindi

लीक से हटकर

मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे

time-read
4 分  |
January 01, 2025
खूबसूरत काया का जलवा
India Today Hindi

खूबसूरत काया का जलवा

भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया

time-read
3 分  |
January 01, 2025
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
India Today Hindi

खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना

शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है

time-read
3 分  |
January 01, 2025
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
India Today Hindi

छलकने लगे मस्ती भरे दिन

यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं

time-read
3 分  |
January 01, 2025
डिस्को का देसी अंदाज
India Today Hindi

डिस्को का देसी अंदाज

घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया

time-read
4 分  |
January 01, 2025
जिस लीग ने बनाई नई लीक
India Today Hindi

जिस लीग ने बनाई नई लीक

लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है

time-read
2 分  |
January 01, 2025
आनंद की विरासत
India Today Hindi

आनंद की विरासत

विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है

time-read
3 分  |
January 01, 2025
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
India Today Hindi

जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन

सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल

time-read
2 分  |
January 01, 2025
जब मौन बन गया उद्घोष
India Today Hindi

जब मौन बन गया उद्घोष

एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।

time-read
2 分  |
January 01, 2025
बताने को मजबूर हुए बाबू
India Today Hindi

बताने को मजबूर हुए बाबू

जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई

time-read
3 分  |
January 01, 2025