सफलता से बढ़कर कुछ नहीं है, यह कहावत शायद आइएचएम पूसा, नई दिल्ली के लिए सही है. अगर होटल प्रबंधन और आतिथ्य उद्योग आपका जुनून है, तो आइएचएम, पूसा से बेहतर कोई जगह नहीं है. इसलिए, इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि यह रैंक में सबसे ऊपर है. इस संस्थान की शुरुआत 1962 में भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और रॉयल आर्मी कैटरिंग कोर, यूके से आने वाले विशेषज्ञों के इनपुट के साथ की थी. आइएचएम पूसा ने अपनी शानदार रवायत को कायम रखा है और इसे अपने छात्रों और शिक्षकों और अपने कुशल पूर्व छात्रों के बीच विविधता पर नाज है. स्टुडेंट्स प्रैक्टिस के जरिए ज्यादा से ज्यादा सीखते हैं, हालांकि लेक्चर्स और नोट्स का अपना स्थान है. प्लेसमेंट एक और क्षेत्र है जहां यह संस्थान हमेशा चमकता है. 2024 बैच को उद्योग और कंपनियों जैसे कि जोमैटो, सोडेक्सो, ईजी डिनर, वाल्सन्स और एटिका ग्लोबल में कई भूमिकाओं के लिए नियुक्त किया गया.
आइएचएम पूसा अलग कैसे है
2023 की कक्षा के 94 फीसद छात्रों को नौकरी मिल गई
छात्रों को दिया जाने वाला औसत वार्षिक वेतन (घरेलू): 3.81 लाख रुपए. यह होटल प्रबंधन कॉलेजों में दूसरा सबसे ज्यादा है
शोध और परामर्श कार्य में शामिल छात्रों की संख्या में नंबर 1 स्थान पर
अत्याधुनिक रसोई और प्रयोगशालाएं जो लगातार नए-नए व्यंजन तैयार कर रही हैं, जो बड़ी सभाओं के लिए उपयुक्त हैं।
लखनऊ, दिल्ली जैसे शहरों में एक-से-एक ऑनलाइन कक्षाएं और वर्चुअल फूड वॉक
この記事は India Today Hindi の July 03, 2024 版に掲載されています。
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