इसका मकसद यात्रियों और लंबी दूरी के ड्राइवरों को निर्बाध और स्वचालित टोल वसूली की सुविधा देते हुए मानवयुक्त टोल बूथों को पूरी तरह खत्म करना है. जीएनएसएस-आधारित यह तकनीक उपग्रहों के जरिए वाहनों को ट्रैक करेगी और की गई यात्रा की सटीक दूरी के आधार पर शुल्क लगाएगी. यह पक्का करती है कि उपयोगकर्ता हाइवे के केवल उसी हिस्से के लिए भुगतान करें जिसका वे उपयोग करते हैं. मानवयुक्त बूथों को खत्म करने से वाहनों को हाइवेज पर निर्बाध प्रवेश करने और बाहर निकलने की अनुमति मिलेगी और ईंधन क्षमता में सुधार होगा.
यह प्रणाली उपग्रहों के एक नेटवर्क का इस्तेमाल करती है. वह नेटवर्क वाहन में लगे जीएनएसएस रिसीवर को सिग्नल भेजता है जो विभिन्न उपग्रहों से संकेतों को त्रिकोणमिति से मापकर वाहन के सटीक स्थान, गति और दिशा की गणना करता है. इस तरह से यह प्रणाली सटीक रूप से निर्धारित कर सकती है कि मोटर चालकों ने टोल रोड पर कितनी दूरी तय की और उसके हिसाब से उनसे शुल्क वसूला जा सकता है. नई प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए ड्राइवरों को अपने वाहनों को पंजीकृत करना होगा और अपने बैंक खातों को लिंक करना होगा. इसके अलावा, मौजूदा फास्टटैग को जीपीएस आधारित नई टोल वसूली प्रणाली से जोड़ना होगा. वाहनों और उपग्रहों के बीच संचार सुनिश्चित करने के लिए हाइवे के किनारे दूरसंचार टावर लगाए जाएंगे.
この記事は India Today Hindi の August 14, 2024 版に掲載されています。
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