सर्वोच्च न्यायालय ने सकारात्मक उपायों की रूपरेखा को फिर से परिभाषित करते हुए 1 अगस्त को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई में सात जजों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से दिए फैसले में राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के वर्गों के भीतर उपवर्गीकरण करने की इजाजत दे दी. इसका मकसद इन वर्गों के भीतर सबसे पिछड़े समुदायों के बीच आरक्षण के फायदों का ज्यादा न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एससी-एसटी की सूचियां एक समान या सजातीय नहीं हैं और इन समुदायों के बीच सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का स्तर अलग-अलग है. अब राज्य एससी के लिए निर्धारित 15 फीसद और एसटी के लिए निर्धारित 7.5 फीसद आरक्षण के भीतर विशिष्ट जातियों के लिए आरक्षण की सीमा तय कर सकते हैं. इस फैसले ने 2004 में ई.वी. चिनैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला उलट दिया जिसमें एससी-एसटी सूचियों को एक समान बताते हुए कहा गया था कि उनमें उपविभाजन नहीं किया जा सकता. यह फैसला इस दलील का समर्थन करता है कि आरक्षण के फायदे सभी जातियों तक बराबर-बराबर नहीं पहुंचे हैं और ज्यादा कमजोर समूहों को आरक्षण के ढांचे में निश्चित हिस्सेदारी की जरूरत है.
कई शोध इस फैसले का समर्थन करते हैं, मगर आलोचक आगाह करते हैं कि सियासी तबका वोट बैंक बनाने के लिए इस फैसले का फायदा उठा सकता है. फैसले पर सियासी दलों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं, चाहे वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में हों या विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) में.
この記事は India Today Hindi の August 21, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の August 21, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"