सीतामढ़ी के तिलक ताजपुर गांव में बागमती के टूटे तटबंध के उस पार मिलीं पप्पी देवी हमें देखते ही उखड़ गईं: "अच्छा लग रहा है ना देखके कि हमलोग कइसे रह रहे हैं. केतना अलीसान इंतजाम बा. सरकार कइसन चउचक बेवस्था कइले बा..." उनके कड़वे शब्दों में व्यंग्य की वजह जाहिर थी. उतरते सितंबर में आई भीषण बाढ़ में बागमती का तटबंध जहां टूटा था, उसके सामने ही उनका पक्का मकान था. एक झटके में उनका संयुक्त परिवार बेघर हो गया.
एक चम्मच तक साथ नहीं ला पाए. देह पर जो कपड़ा था, वही लेकर भागे. पप्पी बताती हैं, "सात रोज से दू-अढ़ाई हाथ का प टांगकर सात औरत और छोटा-छोटा बच्चा सब सोते हैं. कभी बांध पर गमछा बिछाकर सो जाते हैं. एक रोज जिला परिषद के मेंबर से थोड़ा चूड़ा मिला. परसों हेलिकॉप्टर से भी चूड़ा-चीनी गिराया. उसी से कुछ आहार लिए. दू-दिन तो उठकर चला नहीं जाता था. पोता पानी मांगा तो चुरुआ से बाढ़ का पानी पिलाए. एगो गिलास नहीं बचा था. अब इससे बड़ा अथी ( तकलीफ) क्या होता है."
तिलक ताजपुर से 130 किमी दूर दरभंगा भुभौल गांव में रतीचंद्र शर्मा मिले. 29-30 सितंबर की दरम्यानी रात जब पश्चिमी कोसी तटबंध टूटा तो उनके 18 कमरे के मकान का तीन-चौथाई हिस्सा भी कोसी के वेग में समा गया. बचे दो कमरों के टूटे हिस्से पर खड़े होकर उस रात का आंखों देखा हाल बताते हुए वे कहते हैं, "शाम छह बजे कोसी बांध पर पानी चढ़ गया था. तब परसासन के लोग आए, एक-दू घंटा रहे. कोई भी मिट्टी का साधन नहीं मंगाया, खाली बैठ के देखते रहे. हम लोग कहते-कहते मर गए कि एक टेलर (ट्रेलर) माटी कहीं से लाकर डाल दीजिए, लेकिन कुछ नहीं किए. हमारे पास अपना बोरा उपलब्ध था. अपनी तरफ से जन (मजदूर) रखकर के दू सौ बोरा हम खुद बांध पर डलवाए. उससे क्या होता है. बांध नहीं बचा. परसासन कोशिश करता तो बांध टूटने का कोई चांस ही नहीं था. पानी बेहिसाब होने लगा तो आठ बजे के बाद परसासन के लोग खुद यहां से जान बचाकर भग लिए. हम लोगों को छोड़ दिए, जीना हो जियो, मरना हो मरो."
この記事は India Today Hindi の October 23, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の October 23, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
एक नई धड़कन
अभिनेत्री तृप्ति डिमरी की फिल्मों की झड़ी लगी हुई है. विकी और विद्या का वो वाला वीडियो, भूल भुलैया 3 और धड़क 2 रिलीज को तैयार. हिंदी सिनेमा की वे ताजातरीन स्टार बनीं
ऊबते अंधेरे, रोते सन्नाटे के राजमहल
खेतड़ी का संरक्षण भारत को एक अमूल्य खजाने की तरह करना चाहिए था, चाहे विशुद्ध विरासत के रूप में उसे बचाकर रखा जाता या एक ऐतिहासिक मुलाकात के स्थान के रूप में. पर 37 साल की अदालती लड़ाई में राजस्थान की एक बेशकीमती धरोहर धूल फांकने को मजबूर
कर गुजरने वाला स्वप्नदर्शी टाइटन
स्मरण एक ऐसी शालीन शख्सियत का जिसने भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी अलग ही युक्ति निकाली. उन्होंने इस्पात को सपनों में, कारों को क्रांति में और बोर्डरूम को लॉन्चिंग पैड में तब्दील कर डाला. कॉर्पोरेट परोपकार की उन्होंने एक नई परिभाषा गढ़ दी
पहले जुल्म और फिर सियासत
अमेठी में दलित शिक्षक हत्याकांड के बाद चौतरफा निशाने पर आई योगी सरकार. लोकसभा चुनाव में पासी मतों के भाजपा से छिटकने का फायदा उठाने में जुटीं दूसरी पार्टियां
बाढ़ और बर्बादी की गंभीर दर्शक यानी सरकार
उतरते सितंबर में उत्तर बिहार में आई भीषण बाढ़ ने सरकारी तैयारियों की पोल खोल दी. पिछले साल अक्तूबर से ही चल रहे तटबंध सुरक्षा अभियान के बावजूद आठ जगह तटबंध टूट गए. ऐसे में सरकारी बचाव और राहत कार्यों की धीमी सवाल उठ रहे. साल भर की बाढ़ पूर्व तैयारियों के रूप में सरकार आखिर करती क्या रही?
नहीं सीखा कोई सबक
इस ग्रैंड ओल्ड पार्टी को आत्मघाती गतिविधियों के चलते हरियाणा के रूप में एक और हार का सामना करना पड़ा. अगर समय पर पार्टी के अंदरूनी तंत्र को दुरुस्त नहीं किया गया तो महाराष्ट्र और झारखंड में भी उसकी संभावनाएं क्षीण हो सकती हैं
असल चुनौती शुरू होती है अब
इंडिया गठबंधन ने कश्मीर को लेकर तैयार भाजपा की योजनाओं पर पानी फेरा. लेकिन जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र के दर्जे को देखते हुए वहां के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर पाना उमर अब्दुल्ला के लिए खासा मुश्किल होगा. वहां सत्ता की असली चाभी तो केंद्र सरकार के ही पास
भाजपा का हरियाणा भूचाल
प्रदेश में अवाक करने वाली जीत से भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासी टूटी और उनमें जोशोखरोश लौटा, पार्टी को महाराष्ट्र और झारखंड के अगले विधानसभा चुनावों के लिए नई रणनीति का मॉडल मिला
जहरीली हवा पर हवा-हवाई बातें
पिछले छह साल में ऐसा पहली बार हुआ कि सितंबर का महीना खत्म होने से पहले ही दिल्ली की हवा में प्रदूषण तेजी से बढ़ गया. राष्ट्रीय राजधानी से मॉनसून विदा होते ही यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 'पुअर' यानी खराब दिखने लगा, 25 सितंबर को दिल्ली का एक्यूआई 235 (201 से 300 के बीच का स्तर 'पुअर' माना जाता है) पर पहुंच जाने के बाद केंद्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार समेत देश की शीर्ष अदालत भी हरकत में आ गई.
अजित के सामने खड़ा पहाड़
इन दिनों महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर गुलाबी रंग का असर दिखता है. चाहे उनकी जैकेट हो या होर्डिंग, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष को सादगी के रंग में देखा जा सकता है.