"आप ये तस्वीरें देख लेंगे तो दोपहर का खाना नहीं खा पाएंगे." - सुप्रीम कोर्ट, 18 जनवरी, 2023
"ब्रिटिश नागरिक होने के नाते मेरे लिए यह समझ से परे है कि राज्य अपने लोगों की बहुमूल्य विरासत को क्योंकर बर्बाद कर सकता है?" - लॉर्ड फ्रांसिस बैरिंग नॉर्थब्रूक, सदस्य, खेतड़ी ट्रस्ट
आज शेखावाटी में शुष्क हवाएं इन खंभों वाली मेहराबों और आलों से होकर गुजरती हैं, तो मानो मुंह चिढ़ाती-सी सीटी बजाती हैं. 1770 में खेतड़ी के 'विंड पैलेस' की कल्पना प्रकृति और संस्कृति की एक भव्य जुगलबंदी के रूप में की गई थी. वह इतना सुंदर और मनमोहक था कि जल्द ही हवा महल का प्रोटोटाइप बन गया, जो दक्षिण में करीब सौ मील दूर जयपुर और दरअसल समूचे राजस्थान की संपूर्ण स्थापत्य की गौरवशाली विरासत है. वह राज्य के पर्यटन ब्रोशर का मुख्य आकर्षण बन गया है. लेकिन जहां इस वास्तु कला की उत्पत्ति हुई, वह स्थान अब मानो खुदकुशी पर उतारू है. आप खेतड़ी के चारों ओर सफेद चाक से घेरा बना सकते हैं और कह सकते हैं, "यह वह जगह है जहां विरासत ने खुद को खत्म कर लेने की कोशिश की." अरावली का सूखा और कंटीला जंगल धीरे-धीरे महल के बगीचों में घुसता-फैलता गया है. हवा आंगन और दालान में रेत के ढेर जमा करती है, और यह कूड़ा-करकट सुंदर भित्तिचित्रों और मीनाकारी को बर्बाद करता है. छिपकली और परिंदों की बीट शानदार लेकिन अब टूटे-बिखरे चित्रों पर लिप-पुतकर जैसे उन्हें मुंह चिढ़ा रही है. वैसे तो काल के थपेड़ों से जीर्णशीर्ण आलीशान महल राजसी अहंकार और ठाट-बाट की कहानी कहते हैं. हालांकि, यहां पर अपराधी दरअसल राजाओं से सत्ता संभालने वाला राज्य है.
この記事は India Today Hindi の October 23, 2024 版に掲載されています。
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