आमतौर पर आम लोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव को ले कर ज्यादा उत्साहित रहते हैं. शाह- मोदी की सरकार केंद्र में आने वाली है या राहुल गांधी कोई बड़ा चमत्कार दिखाएंगे, प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश की राजनीति का रुख मोड़ने में कामयाब होंगी या योगी आदित्यनाथ भगवा लगाएंगे आदि तमाम बातों के इर्दगिर्द सारी चर्चाएं और हंगामे होते हैं. मगर आम जनता की जरूरतें जहां से पूरी होती हैं, वह है उस का नगरनिगम, जिस के चुनाव देश में उस तरह चर्चा नहीं पाते, जैसे विधानसभा और लोकसभा के चुनाव पाते हैं.
शहरी स्थानीय सरकार जो 10 लाख से अधिक आबादी वाले महानगर के विकास के लिए कार्य करती है उसे भारत के नगरनिगम के रूप में जाना जाता है. भारत के सब से बड़े निगम 4 मैट्रोपोलिटन शहर- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई हैं. इन में से दिल्ली नगरनिगम विश्व का सब से बड़ा नगर पालिका संगठन है, जोकि अनुमानित 2 करोड़ नागरिकों को नागरिक सेवाएं प्रदान करता है. यह क्षेत्रफल के हिसाब से मात्र टोक्यो से पीछे है. दिल्ली नगरनिगम 1,397 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र देखता है.
नगरनिगमों में रिश्वतखोरी
देशभर के नगरनिगम आज भयानक भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं, आप को अपने मकान का लैंटर डलवाना हो तो नगरनिगम के अधिकारियों को मोटी रकम रिश्वत के तौर पर देनी होगी. निगम का बाबू आप का हाउस टैक्स 3 गुना अधिक बना कर भेज देता है, उसे ठीक करवाने के लिए आप को उसे रिश्वत खिलानी पड़ती है.
आप की दुकान सुचारूप से चलती रहे, इस के लिए निगम का बाबू हर महीने रिश्वत लेने के लिए आप के सिर पर आ कर सवार हो जाता है. किसी गरीब को सड़क के किनारे अपना खोमचा लगाना हो, रेहड़ी खड़ी करनी हो तो उसे प्रतिदिन अपनी कमाई का एक हिस्सा निगम के आदमी के हाथ में रखना पड़ता है, वरना उसे खदेड़ कर भगा दिया जाएगा. सब्जी मंडी का हर व्यापारी नगरनिगम को उस का हिस्सा पहुंचाता है.
この記事は Sarita の April First 2023 版に掲載されています。
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हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.