बर्फ का दिलचस्प इतिहास
Sarita|August First 2023
बर्फ का इतिहास बहुत रोचक है. भारत में बर्फ कभी अमेरिका से आती थी. आज जो बर्फ हमें नौर्मल लगती है वह एक समय लग्जरी आइटम हुआ करती थी.
कमल सोगानी
बर्फ का दिलचस्प इतिहास

गरमी के मौसम में ठंडीठंडी बर्फ सभी को प्यारी लगती है. बर्फ की बदौलत ही लस्सी, शीतलपेय, आइसक्रीम का स्वाद ठंडाठंडा और मजेदार हो जाता है. आज के दौर में तो फ्रिज की बदौलत घरघर में बर्फ मिल जाती है. एक समय ऐसा भी था जब गरमी के दिनों में बर्फ की बड़ी कद्र की जाती थी. उसे सोने की तरह कीमती समझा जाता था.

हमारे देश में कृत्रिम बर्फ की सिल्लियों का आगमन आज से 180 साल पहले हुआ था. 23 मार्च, 1830 को जब बर्फ की सिल्लियों की पेटियां कोलकाता बंदरगाह पर उतरीं तो उन का गरमजोशी से स्वागत हुआ. कई लोगों ने बर्फ आगमन की खुशी में घरघर दीप जला कर खुशियां मनाईं, एकदूसरे को इत्र लगाया और जगहजगह मिठाइयां बांटीं.

पहली बार आगमन

लोगों ने पहली बार 'कृत्रिम बर्फ' को देखा था. वे बर्फ देख कर हैरान थे और एकदूसरे से पूछने लगे थे, क्या यह बर्फ सात समंदर पार के पेड़ों पर उगती है? यदि पेड़ों पर उगती है तो इस के बीज हमें भी अपने खेतों में बोने चाहिए.

उस समय के कुछ बांगला, इंग्लिश व हिंदी के समाचारपत्रों ने बर्फ पर संपादकीय भी लिखे थे. एक समाचारपत्र ने तो अपने बौक्स कौलम में यह भी छाप दिया, 'बर्फ कुछ शरमा कर कन्याओं के स्वागत से पानीपानी हो गया.' 

लौर्ड विलियम बैंटिक, जो उन दिनों भारत के गवर्नर जनरल थे, ने बर्फ रखने के लिए जमीन के अंदर स्पैशल कुएं खुदवाए ताकि बर्फ अधिक दिनों तक टिकी रहे. उन दिनों आयात की सब से बड़ी वस्तु बर्फ ही थी.

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