तनावपूर्ण जीवनशैली से माइग्रेन की समस्या
Sarita|September First 2023
काम के बढ़ते दबाव को माइग्रेन का सिरदर्द बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है और इसी वजह से तनावपूर्ण सिरदर्द भी उभरता है. आखिर क्यों है यह महानगरों में खतरनाक?
तनावपूर्ण जीवनशैली से माइग्रेन की समस्या

दिल्ली जैसे किसी भारतीय महानगर में रहने वाले व्यक्ति को जिंदगी की सुबह समय पर औफिस पहुंचने की आपाधापी से शुरू होती है. फिर कई तरह की मीटिंग्स, काम पूरा करने की समय सीमा, भोजन न कर पाने की मजबूरी, ट्रैफिक का झमेला और फिर अगले दिन काम पर जाने के तनाव के साथ ही उन के दिन का अंत होता है. ऐसे में उन्हें अपने लिए व आराम करने के लिए वक्त नहीं मिलता.

दक्षतापूर्ण क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे भारतीय शहरी लगातार पूरी नींद लेने से वंचित रह जाते हैं. वे हमेशा काम के बोझ तले दबे होते हैं. ज्यादातर समय वे ढेर सारे प्रोजैक्ट और दायित्व पूरे करने की मारामारी में ही गुजार देते हैं. देर तक काम करना उन के लिए सामान्य बात है, जबकि भोजन से वंचित रह जाना उन की आदत बन जाती है.

कुल मिला कर उन की जीवनशैली पेंडुलम की तरह झूलती रहती है. कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम से कुछ राहत मिली है पर इस में नौकरी का खतरा बढ़ गया है क्योंकि जो दिखता नहीं वह लगता है ही नहीं वर्क फ्रॉम होम वाले ज्यादा टैंस में भी हो सकते हैं.

लगातार बेहद तनावनूर्ण लाइफस्टाइल के चलते कार्डियोवैस्क्यूलर स्थितियों और डायबिटीज जैसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. स्ट्रैस और चिंता के कारण कुछ लोग माइग्रेन की चपेट में भी आ जाते हैं.

माइग्रेन के सिरदर्द की सहीसही वजह तो नहीं बताई जा सकती लेकिन समझा जाता है कि मस्तिष्क की असामान्य गतिविधियां नर्ल्स के सिग्नल्स को प्रभावित करती हैं और मस्तिष्क की ब्लड फ्लो इसे और तीव्र कर सकती है. यह डिसऑर्डर लगातार स्थिति बिगाड़ने वाला होता है जिस से प्रभावित व्यक्ति की जिंदगी अस्तव्यस्त हो जाती है.

अफसोस यह है कि इस के बावजूद बहुत सारे प्रभावित लोग चिकित्सकीय सलाह नहीं लेते. वे यह मान बैठते हैं कि इस का कोई उपाय नहीं हो सकता.

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