इकलौते बच्चे मांबाप के समस्त प्यार और आशाओं का केंद्र होते हैं. उन्हें लाड़चाव और अटैंशन कुछ ज्यादा ही मिलता है. इस फेर में कई इकलौते बच्चे अपने आप को स्पैशल समझनेमानने लगते हैं. वे चाहते हैं कि ऐसा ट्रीटमैंट उन्हें औरों से भी मिले. इसी लाड़चाव के वे इतने आदी हो जाते हैं कि बहुत बार वे दूसरों की इच्छाओं, प्रायोरिटी और पसंद का खयाल ही नहीं रखते.
आस्था अकसर परेशान रहती है. कारण, जिस चीज को जहां रखती है वह वहां मिलती ही नहीं है. चीज को ढूंढ़ना उसे समय खोना लगता है. दरअसल, आस्था बहुत ही व्यवस्थित है. उस का ज्यादातर समय घर को व्यवस्थित करने में ही बीत जाता है. मांबाप का इकलौता लड़का अमन जब से आस्था का पति बना है तब से आस्था उस की बेतरतीबी का शिकार है. शादी से पहले अमन की मां अमन का सारा सामान व्यवस्थित करती थी, अब वह यही उम्मीद अपनी पत्नी से करता है. उसे लगता है कि पत्नी उस का ध्यान नहीं रखती. उसे उस से प्यार नहीं है.
उधर आस्था कहती है कि पति का इतना ध्यान रखने पर भी उसे पति की जलीकटी सुननी पड़ती है. कोई दूसरा कब तक किसी का ध्यान रख सकता है. यह काम तो आदत का हिस्सा होना चाहिए. ये हर चीज को पूछते हैं कि कहां रखी है? क्या दूसरों के पास और कोई काम नहीं है? ऐसा काम ही क्यों करें, जिस से दूसरों का समय बरबाद हो. नई डिश बनाने, नए सिरे से घर सजाने आदि क्रिएटिव कामों में समय देने में मजा भी आता है.
この記事は Sarita の September First 2023 版に掲載されています。
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एक गलती ले डूबी इन ऐक्टर्स को
फिल्म कलाकारों का पूरा कैरियर उन की इमेज पर टिका होता है. दर्शक उन्हें इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वे अपना आइकन मानने लग जाते हैं मगर जहां रियल लाइफ में इस इमेज पर डैंट पड़ता है वहां वे अपने कैरियर से हाथ धो बैठते हैं.
शादी से पहले खुल कर करें बात
पतिपत्नी में किसी तरह का झगड़ा हो हीन, इस के लिए शादी के बंधन में बंधने से पहले दोनों पार्टनर्स हर विषय पर खुल कर बात करें चाहे अरेंज मैरिज हो रही हो या हो लव मैरिज. वे विषय क्या हैं और बातें कैसे व कहां करें, जानें आप भी.
सुनें दिल की धड़कन
सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो फौरन कार्डियोलोजिस्ट से हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष
जिन मातापिता के पास सिर्फ बेटे ही होते हैं वे घर में बहू के आने के बाद बहुत खुश होते हैं. बहू में वे बेटी की कमी को पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में ससुर के साथ बहू के रिश्ते बहुत अच्छे हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बाप की ज्यादा लाड़ली होती हैं.
डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई
आजकल शादीशुदा युवाओं की लाइफस्टाइल में डिंक कपल्स का चलन बढ़ गया है. इस में दोनों कमा कर आज में जीते हैं पर बच्चे, परिवार और बिना जिम्मेदारियों के साथ. यह चलन खतरनाक भी हो सकता है.
प्रसाद पर फसाद
प्रसाद में मांसमछली वगैरह की मिलावट की अफवाह के के बाद भी तिरुपति के मंदिर में भक्त लड्डू धड़ल्ले से चढ़ा रहे हैं. इस से जाहिर होता है कि यह आस्था का नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दुकानदारी का मसला है.
आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत सरकारों को अब एससी और एसटी आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की छूट होगी. इस फैसले ने आरक्षण की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. इस से जाति आधारित आरक्षण की मांग और भी जटिल हो जाएगी, जिस से देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए कानूनों में 2-3 ने ही सामाजिक परिदृश्य को बदला. राजीव गांधी को सामाजिक मामलों की ज्यादा चिंता नहीं थी, यह साफ है.
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.
क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली
फिल्मों की दीवाली अब पहले जैसी नहीं रही. दीवाली का त्योहार अब बड़े बजट की फिल्मों के लिए कलैक्शन का दिन भी नहीं रहा. इस मौके पर फिल्में आती तो हैं लेकिन बुरी तरह पिट जाती हैं. फिल्मी हस्तियों व आम लोगों के लिए दीवाली फीकी होती जा रही है.