आजकल जैंडर चेंज कराने की खबरें देश के हर छोटेबड़े शहर से आ रही हैं. जैंडर चेंज कराने को समाज अलग ही नजर से देख रहा है. लोगों को लगता है कि कुछ लोग शौकिया तौर पर अपना जैंडर बदल रहे हैं, हालांकि वास्तविकता कुछ और है.
दरअसल जैंडर चेंज कराने के पीछे जैंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जैंडर डायसोफोरिया है. इस के पीछे हार्मोनल बदलाव के साथसाथ कुछ मानसिक परेशानियां भी हैं. जैंडर डायसोफोरिया होने पर एक लड़का लड़की की तरह और एक लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है. यानी वे अपोजिट सैक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं.
कई पुरुषों में बचपन से ही महिलाओं जैसी और कई महिलाओं में पुरुषों जैसी आदतें होती हैं. ये लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखने शुरू हो जाते हैं. जैसे कोई पुरुष है तो वह महिलाओं जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, महिलाओं की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा. ऐसा ही महिलाओं के साथ होता है, जिस में वे पुरुष की तरह जीना चाहती हैं. लड़केलड़कियां जब अपने मन की इस बात को अपने पेरेंट्स को बताते हैं तो कई दफा पेरैंट्स बच्चों की इस प्रौब्लम पर ध्यान नहीं देते. इस का नतीजा सुसाइड के रूप में देखने को मिलता है.
दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय रही. इंदौर के रहने वाले अस्तित्व सोनी जन्म से तो लड़की थे और उन के मातापिता ने इसी के अनुसार उन का नाम अलका रखा था. युवावस्था आने पर अलका को यह महसूस हुआ कि वह लड़कियों जैसा नहीं बल्कि लड़कों जैसा महसूस करती हैं. इस के बाद उन्होंने निजी स्तर पर अपनी पहचान बदल ली. इस काम में उन्हें काफी दिक्कतें आईं. उन के परिवार ने भी शुरुआत में बदनामी के डर से उन का साथ नहीं दिया. मगर अलका ने अपने मन की सुनते हुए लड़का बन जाने की ठान ली. इस के लिए उन्होंने पुरुषों जैसे ही कपड़े पहनने चालू कर दिए. इस के बाद वर्ष 2023 के आखिर में उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन करवाने का फैसला किया.
この記事は Sarita の June First 2024 版に掲載されています。
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