अब राममंदिर का मुद्दा खत्म हो गया है. 4 जून को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद अब रामलला के बारे में कोई बात भी नहीं कर रहा है. मगर आगे कई राज्यों के चुनाव होने हैं, खासतौर पर उत्तर प्रदेश का. राज्यों के चुनाव जीतने के लिए भाजपा को मुसलमानों के खिलाफ कुछ नए मुद्दे पैदा करने हैं.
अब भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर आ गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो, मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में लगी है.
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में प्रस्तावित संशोधन ले कर आई है, जिसे वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के रूप में रखा है.
वक्फ के मामलों को मुसलमानों को खुद सुलझाना चाहिए, बिलकुल वैसे ही जैसे सिख अपने धार्मिक मामलों को स्वयं सुलझाते हैं या हिंदू अपने धार्मिक मामलों को खुद देखते हैं.
भारतीय जनता पार्टी के पास चुनाव जीतने और सत्ता में बने रहने के लिए सिर्फ एक दांव है - हिंदूमुसलिम के बीच नफरत बढ़ाओ. आम जनता के जीवनस्तर को ऊपर उठाने, युवाओं को नौकरी देने, गरीब बच्चों के भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में काम करने, महिलाओं की सुरक्षा, अपराधों में कमी लाने और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने जैसे हजारों मुद्दे हैं जिन के लिए जनता सरकार चुनती है, वह चाहती है कि सरकार इन मुद्दों पर काम करे ताकि आम लोगों का जीवन सुगम व सुखी हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पास सिर्फ एक ही मुद्दा है - धर्म.
धर्म के नाम पर भाजपा बड़ी आसानी से लोगों को उत्तेजित कर लेती है. धर्म के झांसे में जनता को फंसा कर उसे मूल मुद्दों से भटका देती है. जनता भोली है, वह भाजपा की राजनीतिक चालबाजियों को नहीं समझ पाती और राजनीति उसे जैसे हांकती है वह उसी ओर मुड़ जाती है. कभी बीमारी से लड़ने के लिए तालीथाली बजाती है तो कभी धर्म के नाम पर उकसाने पर अपने उस पड़ोसी के सीने में छुरा भोंक आती है, जिस के साथ बरसों से उस का प्रेमपूर्ण मैत्री संबंध बना हुआ था.
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