केंद्र सरकार ने आज कहा कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान गेहूं के दाम में हुई बढ़ोतरी सामान्य है क्योंकि पिछले साल कीमत 'कृत्रिम रूप से कम' थीं। सरकार ने कहा कि जरूरत पड़ने पर बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, 'पिछले साल दरें कम हुईं क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार में 70 लाख टन गेहं बेचा। इसकी वजह से कृत्रिम दबाव बना। ऐसे में पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं की कीमत देखना उचित नहीं है। 2020 में जो कीमत थी, उससे तुलना की जानी चाहिए।'
उन्होंने कहा कि अगर 2020 की दरों से तुलना की जाए तो गेहूं की थोक कीमत में 11.42 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और यह 27.57 रुपये प्रति किलो है, वहीं खुदरा कीमत में 12.01 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 14 अक्टूबर को 31.06 रुपये किलो है।
सचिव ने कहा कि गेहूं के दाम में बढ़ोतरी असामान्य नहीं है और यह न्यूनतम समर्थन मूल्य, ईंधन और ढुलाई के दाम व अन्य खर्च में बढ़ोतरी के मुताबिक है।
この記事は Business Standard - Hindi の October 18, 2022 版に掲載されています。
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