प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों में किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की 100 दिनों की योजनाएं मुख्य तौर पर बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास पर केंद्रित हैं। प्रधानमंत्री नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम री-इन्वेस्ट के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पहले 100 दिनों का काम सरकार की प्राथमिकताओं को उजागर करता है। इससे हमारी गति और पैमाने की झलक मिलती है। इस दौरान देश के भौतिक एवं सामाजिक बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। भारत 7 करोड़ मकानों का निर्माण कर रहा है जो कई देशों की आबादी से भी अधिक है। पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोगों को 4 करोड़ मकान सौंपे गए।’
मोदी ने कहा कि इस सरकार ने 12 नए औद्योगिक शहरों के निर्माण, 8 हाईस्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी, 15 से अधिक सेमी-हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत, अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान कोष की स्थापना, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों की घोषणा, बेहतर प्रदर्शन वाले बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा और बायो ई3 नीति को मंजूरी देने जैसे प्रमुख निर्णय लिए हैं।
हरित ऊर्जा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और देश में तेल एवं गैस की कमी के बावजूद सरकार की प्रतिबद्धता बरकरार है। उन्होंने कहा, ‘7,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर कोष योजना एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। भारत आने वाले समय में 12,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 31,000 मेगावॉट पनबिजली उत्पादन की दिशा में काम कर रहा है। इसे हाल में मंजूरी दी गई है।’
この記事は Business Standard - Hindi の September 17, 2024 版に掲載されています。
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कोहरे से 500 उड़ानें, 24 ट्रेनें प्रभावित
कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
कुशल पेशेवर दोनों देशों के लिए मददगार
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आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास इस बार पहले जैसा या एक ही लीक पर चलने वाला बजट पेश करने का विकल्प नहीं है। वृद्धि, रोजगार, बुनियादी ढांचे और राजकोषीय संतुलन पर जोर तो हमेशा ही बना रहेगा मगर 2025-26 के बजट में उस पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसे बहुत पहले तवज्जो मिल जानी चाहिए थीः बाह्य और आंतरिक सुरक्षा।
महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था