राष्ट्र गौरव का अमृत पर्व
Panchjanya|August 28, 2022
दशकों के संघर्ष और सैकड़ों क्रांतिकारियों के शौर्य के सुफल से हमें 15 अगस्त, 1947 को अपने देश के बड़े भू-भाग पर अपनी इच्छानुसार शासन और अन्य व्यवस्थाएं स्थापित करने का अधिकार प्राप्त हुआ। इसलिए स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हम सबमें दिखने वाला उत्साह, देश में उत्सव जैसा वातावरण, अत्यंत स्वाभाविक व उचित ही है
मोहनराव भागवत
राष्ट्र गौरव का अमृत पर्व

स वर्ष 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के निमित्त समारोह तो पहले ही आयोजित किए जाने लगे थे, जो आगे वर्षभर चलते रहेंगे। गुलामी का वह कालखंड जितना लंबा था, उतना ही लंबा और कठिन संघर्ष भारतीयों ने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किया। भारतीय इ जनता का विदेशी सत्ता के विरुद्ध यह संघर्ष भौगोलिक दृष्टि से सर्वव्यापी था। समाज के सब वर्गों में अपनी शक्ति के अनुसार हर एक ने इसमें योगदान दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के सशस्त्र व निःशस्त्र प्रयासों के साथ समाजजागृति व परिष्कार के अन्य कार्य भी समाज के व्यापक स्वतंत्रता संघर्ष के ही भाग बनकर चलते रहे। इन सब प्रयासों के चलते 15 अगस्त, 1947 को हम भारत को अपनी इच्छानुसार, अपने लोगों के द्वारा चलाने की स्थिति में आ गए। ब्रिटिश शासकों को यहां से विदाई देकर हमने अपने देश के संचालन के सूत्र अपने हाथ में लिये । इस अवसर पर हमें, इस लंबे संघर्ष में जिन वीरों ने अपने त्याग तथा कठोर परिश्रम द्वारा इस स्वतंत्रता को हमारे लिए अर्जित किया, जिन्होंने सर्वस्व को होम कर दिया, प्राणों को भी हंसते-हंसते अर्पित कर दिया, (अपने इस विशाल देश में हर जगह, देश के प्रत्येक छोटे से छोटे भू-भाग में भी ऐसे वीरों ने पराक्रम दिखाया) उनका पता लगाकर उनके त्याग व बलिदान की कथा संपूर्ण समाज के सामने लानी ही चाहिए। मातृभूमि तथा देशबांधवों के प्रति उनकी आत्मीयता, उनके हित के लिए सर्वस्व त्याग करने की उनकी प्रेरणा तथा तेजस्वी त्यागमय चरित्र आदर्श के रूप में हम सबको स्मरण करना चाहिए, उसका वरण करना चाहिए।

प्रथम शर्त स्वतंत्रता

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