![कन्वर्जन, आम जन और अमेजन कन्वर्जन, आम जन और अमेजन](https://cdn.magzter.com/1622547313/1669012625/articles/Sg-BCm-QS1669623545423/1669624018677.jpg)
आप किसी दुकानदार से कोई वस्तु खरीदते हैं और दुकानदार आपको बताता है कि उस वस्तु के मूल्य का एक हिस्सा सामाजिक कार्य करने वाले किसी गैरसरकारी संगठन को दान दिया जाएगा तो आप क्या महसूस करेंगे ? अमूमन लोग यही सोचेंगे कि सामान खरीद कर वे सामाजिक कार्य में अपना योगदान कर रहे हैं। परंतु वह पैसा अगर आपके ही घरपरिवार के सदस्यों का मानस बदलने, परिवार की मान्यताओं, आस्था, परंपरा से हटाने के लिए खर्च किया जाए तो? यही अमेजन ने किया।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कन्वर्जन में जुटी एक अमेरिकी संस्था 'ऑल इंडिया मिशन' को अमेजन द्वारा धन मुहैया कराने की बात उजागर होने से हड़कंप मचा है। देशभर से इस मामले की गहन जांच और ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग उठ रही है। लेकिन मामला केवल अमेजन तक सीमित नहीं है। दूसरी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारत में कन्वर्जन के इस खेल में शामिल संस्थाओं को धन मुहैया कराने में जुटी हैं। याद रखिए, ईस्ट इंडिया कंपनी भी शुरुआत में कारोबार करने आई थी, लेकिन बाद में उसने भारत के समाज, शिक्षा व्यवस्था, आस्था, परंपराओं, सभी पर असर डाला और उन्हें नष्ट-भ्रष्ट कर ईसाइयत थोपने की कोशिश की।
दरअसल, सितंबर 2022 के दूसरे हफ्ते में अरुणाचल प्रदेश की एक संस्था सोशल जस्टिस फोरम ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को एक शिकायत भेजी थी। इसमें कहा गया था कि अनाथालय चलाने वाला 'ऑल इंडिया मिशन' नामक एक एनजीओ पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय समुदाय के लोगों को ईसाई बनाने में जुटा है। इसे अमेजन धन मुहैया करा रही है। अमेरिकी संस्था को यह वित्तपोषण 'अमेजन स्माइल' नामक कार्यक्रम के जरिए हो रहा है। इस पर एनसीपीसीआर ने 16 सितंबर को पत्र भेजकर अमेजन इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा।
この記事は Panchjanya の November 27, 2022 版に掲載されています。
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![शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1240732/SIWr3MUpD1678350404814/1678350536289.jpg)
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
![फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1240732/McxbrwnTV1678349825721/1678349993901.jpg)
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
![सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1240732/svMZWaTU-1678348852071/1678349040026.jpg)
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
![जीवनशैली ठीक तो सब ठीक जीवनशैली ठीक तो सब ठीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1240732/Pb70x5v5I1678348590382/1678348848075.jpg)
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
![नाकाम किए मिशनरी नाकाम किए मिशनरी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1240732/pXR7Tz7zM1678348291074/1678348583361.jpg)
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई