अवसर था 26/11 की चौदहवीं बरसी पर आतंकवादियों की मंशा को परास्त करने का मुंबई की जनता का हौसला, आतंकवाद के विभिन्न पहलू, आतंकवाद का प्रतिष्ठान तंत्र, हमारी तैयारियां जैसे अनेकानेक बिंदुओं पर पाञ्चजन्य के आयोजन 'मुंबई संकल्प' का । वास्तव में वह हमला कई प्रश्न खड़े कर रहा था। पाञ्चजन्य ने उन प्रश्नों का उत्तर खोजने की चेष्टा की । एक वाक्य में उत्तर यह कि अब भारत आतंकवाद से डरने-सहमने वाला भारत नहीं है, बल्कि अब भारत आतंकवाद को आतंकित कर देने वाला भारत है। यह भारत आतंकवाद की निंदा नहीं करता, आतंकवाद की जड़ों को चिरनिंद्रा दे देता है । यह भारत जीवंत भी है, फिर उठ खड़े होना सीख चुका है, और एकजुट भी है।
पाञ्चजन्य के ‘मुंबई संकल्प' आयोजन ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की एकजुटता और आतंकवाद को बहुत महंगा सौदा साबित करवा देने के भारत के संकल्प को प्रकट किया। कैसे सूझ-बूझ भरी कानूनी लड़ाई लड़ी गई! कैसे भारत की सांस्कृतिक गहराई और उसकी सुदृढ़ता अब एक ढाल बन कर खड़ी हो चुकी है! कैसे राजनीतिक कायरता के स्थान पर राजनीतिक दृढ़ता ने आतंकवाद को उसकी ही मांद में घुसकर परास्त कर दिया है ! इन अनेक प्रश्नों का विस्तार से उत्तर हमें ‘मुंबई संकल्प’ के विभिन्न सत्रों में मिला । प्रस्तुत है इनकी विस्तृत रिपोर्ट- न भूलेंगे, न माफ करेंगे।
ये नया भारत है - देवेंद्र फडणवीस
मुंबई ने 26/11 की घटना के बाद जो जिजीविषा दिखाई, वह स्मरणीय है। आज मुंबई का स्वरूप बदल चुका है। सुरक्षा तंत्र में स्थायी मुस्तैदी लाई गई है। मुंबई हमले, उसे रोकने में हुई चूक, उसके मुकदमे के निहितार्थ और फलितार्थ, उससे लिए गए सबक, बदलाव, मुंबई की जनता के हौसले और अब देश की आर्थिक प्रगति का इंजन बनने को तैयार मुंबई पर पाञ्चजन्य के मुंबई संकल्प में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर से बेबाकी से चर्चा की प्रस्तुत हैं इस बातचीत के अंश
この記事は Panchjanya の December 11, 2022 版に掲載されています。
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई