छत्तीसगढ़ में वनवासियों का कन्वर्जन करने में जुटी ईसाई मिशनरियों को अब विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे मिशनरियों में बौखलाहट है और इसी बौखलाहट में वे हिंसा पर उतर आए हैं। बीते 31 दिसंबर और 1 जनवरी को नारायणपुर जिले की एड़का ग्रामपंचायत में कन्वर्जन का विरोध कर रहे वनवासियों पर एक पादरी के नेतृत्व में लाठी-डंडे से लैस 300 से अधिक नव-ईसाइयों ने हमला किया। मिशनरियों ने पुलिस को भी नहीं बख्शा। फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। लिहाजा, अगले दिन 20 से अधिक वनवासी गांवों के हजारों लोगों ने नारायणपुर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने चर्च में तोड़फोड़ कर दी। प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार घायल हो गए। पुलिस की अनदेखी, ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे जबरन कन्वर्जन और उनके हिंसक हमले से आक्रोशित जनजातीय समुदाय ने 5 जनवरी को बस्तर संभाग में बंद का आह्वान किया, जिसे विभिन्न संगठनों का सहयोग मिला।
दुखद पक्ष यह है कि वनवासी समुदाय की ओर से 50 से अधिक शिकायतों और चेतावनी देने के बावजूद भी प्रशासन ने समय रहते कारवाई नहीं की। प्रशासन पर शायद शासकीय दबाव था, इसलिए मिशनरियों के हमले में पुलिसकर्मियों के घायल होने बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। नारायणपुर ही नहीं, बस्तर संभाग के सभी जिलों के वनवासी समुदाय आंदोलित हैं और मिशनरियों के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। ईसाई मिशनरियों के हमले के विरोध में सात सूत्री मांगों को लेकर 'सर्व आदिवासी समाज' ने समूचे बस्तर संभाग में बंद और चक्का जाम का आह्वान किया। राजनीतिक स्वार्थ के लिए मिशनरियों की अवैध गतिविधियों के प्रति शासन के उदासीन रवैये ने हालात को विस्फोटक बना दिया है।
चेतावनी की अनदेखी
この記事は Panchjanya の January 15, 2023 版に掲載されています。
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