इस समय भारत की स्वतंत्रता का अमृतकाल चल रहा है और पाञ्चजन्य का भी अमृतकाल है। 75 वर्ष की इस यात्रा में पाञ्चजन्य के सामने अनेक कठिनाइयां आईं। इसके संघर्ष, इसके उत्कर्ष को साधकों, जिज्ञासुओं, सत्य-पिपासुओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने भी देखा है। पाञ्चजन्य के मूल में पंडित दीनदयाल जी, आदरणीय अटल जी जैसे मनीषी थे।पाञ्चजन्य एक समाचारपत्र के रूप में निकला। जो लोग पश्चिमी सभ्यता लेकर यहां आए और जो इस धरती के सम्मान, स्वाभिमान, निजता, यहां की संस्कृति, संस्कार, विचार, सभ्यता पर बड़ा प्रहार कर रहे थे, उनके प्रतिकार और विरोध के लिए पाञ्चजन्य का शुभारंभ हुआ। इसका ध्येय है अपनी संस्कृति का रक्षण, संवर्द्धन और पोषण करना। अभी पाञ्चजन्य का प्रकाशन प्रारंभ ही हुआ था कि उस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद पाञ्चजन्य की आत्मा, उसकी सत्ता, उसकी निजता ने अपनी प्रखरता, मुखरता और अपने अस्तित्व को बनाए रखा, क्योंकि इसके मूल में सत्य का प्रकाशन था। पाञ्चजन्य के मूल में वैदिक स्वर है।
पाञ्चजन्य केवल समाचार पत्र नहीं है, यह भारत की संस्कृति, भारत की संवेदना, आर्ष परंपरा, भारत के मूल्यों का पोषक है। यह उस उद्घोष का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें वेद कहता है- 'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतं गमय।' पाञ्चजन्य की यात्रा आरंभ से लेकर अब तक प्रिय भारत की आत्मा का दर्शन है। पाञ्चजन्य भारतीयता, भारत की सत्यता, भारत की गौरवगाथाएं, भारत का पारमार्थिक स्वरूप, अध्यात्म, धर्म, लोकमान्यताएं, परंपराएं, प्रवृत्तियां और अंतःकरण का दर्शन कराता है।
पाञ्चजन्य कुछ और नहीं, उपनिषदों की आत्मा है। पाञ्चजन्य भारत की सत्यता, अमरता और सनातनता का एक मुखर और प्रखर स्वर है, जो 1948 से भारत की बात कहता आ रहा है। बहुत कठिनाइयों में पाञ्चजन्य आगे बढ़ा है। एक समय पूरा शासनतंत्र इसके विरोध में खड़ा था। पाञ्चजन्य के स्वर को दबाने के लिए संविधान में संशोधन तक किया गया। इससे जुड़े लोगों ने न जाने कितने संघर्ष झेले हैं। पाञ्चजन्य एक प्रज्ञा प्रवाह है। पाञ्चजन्य ज्ञान की अविरल निर्मल धारा है, जिससे भारत और भारतीयता की बात हर दिन कही जा रही है।
この記事は Panchjanya の 29 January 2023 版に掲載されています。
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
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जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
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