सुनहरे भविष्य वाला चमकता सितारा भारत
Panchjanya|PANCHJANYA 12 Feb 2023
मोदी शासन के जिम्मेदारी भरे बजट ने समावेशी आर्थिक समृद्धि और वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ उस 'नए भारत' की नींव रखी है, जो अपनी स्वाधीनता के सौवें वर्ष में साकार होगा। यह बजट 'अमृत काल' को सबसे अच्छे ढंग से रेखांकित करता है।
के. ए. बदरीनाथ
सुनहरे भविष्य वाला चमकता सितारा भारत

इस बजट की विषयवस्तु और भावना कुछ हद तक परंपरावादी है, लेकिन 2023-24 के बजट में भारत को विश्व स्तर पर बड़े खिलाड़ियों की कतार में ले जाने की भव्य दृष्टि निहित है। यह बजट 2047 के भारत की नींव रखता है। उस समय तक भारत एक ऐसी स्वतंत्र, समावेशी और विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होना चाहेगा, जो टिकाऊ भी हो। उस शताब्दी वर्ष की दृष्टि से 45 लाख करोड़ रुपये का यह बजट 'अमृत काल' को सबसे अच्छे ढंग से रेखांकित करता है। माने अभी हमारे पास वहां तक पहुंचने और उतना बड़ा होने के लिए 25 वर्ष का अंतराल है।

विजन 2047

वास्तव में, राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण, दोनों में भारत के शताब्दी वर्ष वाली रेखा देखी जा सकती है। 2047 के लिए जो भव्य दृष्टि प्रस्तुत की गई है, उनमें महिला सशक्तीकरण, हमारे विशाल मानव संसाधन का कौशल विकास, पर्यटन उद्योग का विस्तार और हरित विकास के क्षेत्रों को शामिल किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा निर्धारित सात प्राथमिकताएं भारत के आर्थिक और विकास प्रतिमान को नए सिरे से आकार देने का संकेत करती हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन प्राथमिकताओं को, इस देश को सहस्राब्दियों तक निर्देशित करने वाले 'सप्तऋषियों' का नाम देकर बजट को एक सभ्यतागत जुड़ाव दिया है। इस सरकार के दस बजटों में से लगातार पांच बजट प्रस्तुत करके सीतारमण अब एक अनुभवी बजटकार हैं। इसके बावजूद उनकी दृष्टि लगातार व्यापक, वृहद् आर्थिक मूलभूत तत्वों पर बनी रही। उन्होंने सारे अनुभव के बावजूद बहुत सतर्कता से काम लिया और राजकोषीय मजबूती को बनाए रखने पर ध्यान दिया। उन्होंने किसी और सरकार की तरह चुनावी वर्ष में 'लापरवाही से खर्च' या भारी-भरकम अपव्यय करने का आसान विकल्प नहीं अपनाया।

नियंत्रण में घाटा 

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