इस बार के विश्व हिंदी सम्मेलन के मुख्य विषय (थीम) के बारे में जानकर कुछ को कौतूहल हुआ और कुछ को आश्चर्य। थीम है- ‘हिंदीः पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक।' बहुतों को इसलिए हैरत हुई कि हिंदी भाषा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच क्या संबंध हो सकता है, यह उनके लिए एक पहेली के समान है। कुछ को इसलिए आश्चर्य हुआ कि अब तक विश्व हिंदी सम्मेलनों की चर्चाएं या तो साहित्य पर केंद्रित रहती थीं या भाषा पर कुछ सत्र मनोरंजन और मीडिया पर भी केंद्रित होते रहे हैं। लेकिन इस बार हम प्रौद्योगिकी, विज्ञान और बाजार की बात कर रहे हैं। यह हिंदी में विमर्श को एक नई दिशा देने वाला घटनाक्रम है और संभवतः विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके मंत्रालय का यही उद्देश्य भी है।
आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है और ऐसा माना जा रहा है कि अगले एकाध दशक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बदौलत हमारी दुनिया का कायाकल्प होने वाला है। हिंदी सहित हमारी भाषाएं भी इस बदलाव से अछूती नहीं रहने वालीं और न ही उन्हें इससे अप्रभावित रहना चाहिए। जो भाषाएं बदलते युग के साथ तालमेल बिठाकर नहीं चल पातीं, उनके स्थायी अस्तित्व की गारंटी नहीं ली जा सकती। वैसे ही, जैसे अपने दौर के विकास, बदलाव, नवाचार आदि से अछूते रह जाने वाले समाज न सिर्फ प्रगति की दौड़ में पिछड़ जाते हैं बल्कि धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खो बैठते हैं। अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देशों के उदाहरण आपके सामने हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, बाजार और बदलाव एक वास्तविकता है। उनका प्रतिरोध करने में कोई लाभ नहीं। हां, उनके साथ आने में हम सबका लाभ है, हमारी भाषाओं का भी।
この記事は Panchjanya の February 26, 2023 版に掲載されています。
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
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कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
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कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
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