गत 6 फरवरी की शाम तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता वाले भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। दोनों देशों में अभी तक 42,000 लोगों के मरने और इससे कई गुना अधिक के घायल होने की पुष्टि हुई है। इस आंकड़े के दुर्भाग्य से कम से कम दोगुना होने की आशंका है, क्योंकि अभी भी काफी लोग मलबे में दबे मिल रहे हैं। एक लाख से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। अकेले तुर्किये में 35,000 से अधिक, जबकि सीरिया में 6,000 लोग मारे गए हैं। इस भीषण आपदा में बचाव और राहत कार्यों में सहायता के लिए दुनिया के 84 देशों की टीमें पहुंच चुकी हैं। इसमें भारत बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि भूकंप से तबाही की सूचना मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्किये के राष्ट्रपति को फोन कर संवेदना प्रकट की और तुरंत आपदा प्रबंधन टीमें तथा आवश्यक राहत सामग्री भेजने का ऐलान किया।
भारत ‘सच्चा दोस्त'
भारत दोनों आपदाग्रस्त देशों में सबसे पहले मदद करने वाले देशों में था। भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त' के तहत तुर्किये में अभी तक 6 सी-17 मालवाहक विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, भारी मात्रा में दवाएं, उपकरण, गाड़ियों सहित सभी जरूरी सामान भेजा है। साथ ही, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) की दो टीमें जिसमें 1,000 कर्मी, 100 चिकित्सक और डॉग स्क्वाड भी शामिल है, भेजी हैं। आवश्यकता पड़ने पर और सामग्री तथा कर्मी भेजे जाएंगे। भारत में तुर्किये के राजदूत ने अपनी भाषा की एक कहावत से भारत सरकार की तत्परता का स्वागत किया, जिसका हिंदी में अर्थ है- "सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुसीबत में काम आता है।"
この記事は Panchjanya の February 26, 2023 版に掲載されています。
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