मूलसंज्ञक नक्षत्र में जन्म कहीं अशुभ कर्मों का फल तो नहीं
Jyotish Sagar|September 2023
कोई वृन्दावन में प्रथम बार आते ही भक्ति पा जाता है और कोई 15 वर्षों से वहाँ रह रहा है, तब भी उसे भक्ति नहीं मिल पाती है, क्योंकि सबके कर्म अलग-अलग हैं और फल भी अलग-अलग प्रकार से प्राप्त होते हैं।
डॉ. अमित कुमार 'राम'
मूलसंज्ञक नक्षत्र में जन्म कहीं अशुभ कर्मों का फल तो नहीं

मूलसंज्ञक नक्षत्र में जैसे ही जन्म होता है, तो पण्डित जी कहते हैं कि जातक 'मूलिया' हुआ है, अतः ग्रह शान्ति होगी और फिर 27 जगह का जल, 27 तरह के पेड़ों की पत्तियाँ, 27 तरह के अनाज, 27 तरह की मिट्टी और माता-पिता जातक का 100 छिद्र वाले कलश से अभिषेक और फिर नक्षत्र शान्ति हेतु हवन किया जाता है।

प्रस्तुत लेख का उद्देश्य यह बताना है कि क्या उपर्युक्त शान्ति करने के बाद नक्षत्र दोष समाप्त हो जाता है? इसी समीक्षा को हम इस लेख में प्रस्तुत करेंगे। पहले एक सत्य कहानी सुन लें।

रघुवीर सिंह एक सरकारी अधिकारी है। वह दबाकर रिश्वत लेता है। दो पुत्र हैं। उनको नौकरी नहीं मिली, लेकिन रघुवीर ने अपनी अफसरी के दम पर दोनों की शादी करवा दी। फिर रघुवीर के यहाँ एक पोते का जन्म हुआ। पोते का मूल नक्षत्र में जन्म हुआ। पण्डित जी ने मूल शान्ति की बात कही, तो रघुवीर ने शानदार तरीके मूल शान्ति करवाई और लंगर भी लगाया। फिर एक वर्ष बाद दूसरे पुत्र के यहाँ पोती का जन्म हुआ। वह भी मूल नक्षत्र में जन्मी। रघुवीर ने फिर शानदार से तरीके से मूल नक्षत्र की शान्ति करवाई।

यानि दो बच्चे, दोनों ही पुत्रों को मूलिया जन्मे, लेकिन मनुष्य शान्ति कराने के पीछे भाग लेता है। वह यह नहीं देखता कि उसने या उसके परिवार में पापकर्म कितना हुआ है? यहाँ यदि रघुवीर रिश्वतखोरी और अनीतिपूर्ण आचरण नहीं अपनाता, तो मूलिया नक्षत्र में बच्चे जन्मते ही नहीं, यानि पहले गलत कर्म हुए और फिर ऐसे अशुभ योगों में बच्चे जन्मे और जब बच्चे अशुभ कर्मों के परिणाम का फल है, तो उन्हें भोगना ही होगा, क्योंकि कर्मफल से कोई नहीं बचा।

मूलसंज्ञक नक्षत्र है क्या? अब यह जान लेते हैं। अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती इन छह नक्षत्रों में जब जन्म हो, तो जातक 'मूलिया' होगा। जातक पारिजात के अनुसार :

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