
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आँचल में है दूध, आँखों में पानी बहुत समय पहले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ये पंक्तियाँ लिखकर नारी की व्यथा को उजागर किया था। नारी तब भी शक्ति की प्रतीक थी और आज भी है। उसके लिए नए-नए उद्बोधन तथा सम्बोधन है। कभी उसे साक्षात् दुर्गा कहा जाता है, तो कभी दुर्गा का अवतार। हमारे धर्मशास्त्रों ने नारी को गृहलक्ष्मी माना और मनुस्मृति में भी कहा गया है : 'जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।'
क्या वास्तव में ऐसा है? जिस समाज में नारी को दुर्गा मानकर पूजा गया, धर्मग्रन्थों की रचना की गई, वहीं नारी उत्पीड़न और दमन का शिकार है। हिन्दू धर्म में नारी को प्रतीक मानकर धर्मग्रन्थों की रचना हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी भी धर्म में नारी को प्रतीक मानकर धर्मग्रन्थ नहीं रचे गए। विभिन्न धर्मों में नारी को वन्दनीय तो माना गया, लेकिन उसकी सीमाएँ भी तय कर दी गई। माता के रूप में उसे गुरु के समान माना गया। घर को बच्चे की प्रथम पाठशाला बताया गया। बच्चों को संस्कारवान बनाने की प्रेरणा दी गई, लेकिन जब बात सीधे-सीधे नारी से जुड़ी तो धर्म में भी दीवारें खड़ी कर दी गई। धार्मिक और सामाजिक स्तर पर नारी को विभाजित कर दिया गया। सामाजिक स्तर पर उसे स्वतन्त्रता नहीं मिली और धार्मिक आधार पर उसे रूढ़िवादी बनाकर छोड़ दिया गया। न उसे धर्म का मूल पाठ पढ़ाया गया और न ही सामाजिक स्तर पर उसे आगे बढ़ाने के प्रयास किए गए। समाज यदि धर्मवान्, नीतिवान् है, तो ये मूल्य सामाजिक स्तर पर क्यों पल्लवित नहीं होते?
शक्ति मानकर पूजना सिर्फ एक धार्मिक कृत्य
この記事は Jyotish Sagar の April 2024 版に掲載されています。
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केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।

मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।

उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।

इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।

'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।

क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।

त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।

लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।

प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।

रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।