भारत में डिजिटल साक्षरता के महत्त्व और चुनौती को पहचाना गया है और केन्द्र तथा राज्य सरकारों की ओर से इसके समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पीएमजी दिशा, दीक्षा और स्वयं जैसे कार्यक्रम इसके उदाहरण हैं। कौशल विकास के अनेक कार्यक्रमों में भी डिजिटल साक्षरता का पहलू विद्यमान प्रयासों बनाने उन्हें समावेशी बनाने पर भी ध्यान देना होगा। है। इन को सफल के लिए समावेशी से तात्पर्य इन्हें समाज के उन तबकों से जोड़ना है, जो किसी न किसी रूप में वंचित हैं या जिनकी तरक्की के सामने कोई न कोई दीवार खड़ी है। यह दीवार आर्थिक भी हो सकती है, लैंगिक भी, सामाजिक विषमता की दीवार भी हो सकती है तो भाषा की दीवार भी । विकलांगता एक बहुत बड़ी बाधा है और देखा गया है कि विकलांगों में साक्षरता तथा रोजगार की स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है, जबकि दुनिया की आबादी में उनकी १५ प्रतिशत भागीदारी है। एक डिजिटली साक्षर समाज के निर्माण के लिए इन सभी वंचित, उपेक्षित तबकों को तकनीकी जागरूकता, शिक्षण और कौशल से जोड़ना आवश्यक है। चौतरफा कवरेज ज़रूरी है, क्योंकि डिजिटल साक्षरता अभियानों का लक्ष्य केवल अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचना नहीं है बल्कि समग्र कवरेज सुनिश्चित करना है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति न छूटेशारीरिक क्षमताओं, भाषाई पृष्टभूमि, लिंग, आयु और इसी तरह के अन्य विशिष्ट मार्कर जो उन्हें एक अलग पहचान देते हैं, उन सबके कारण उन्हें इस तरह के कौशल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
この記事は Kendra Bharati - केन्द्र भारती の Kendra Bharati September 2022 版に掲載されています。
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष