किसी कपड़े को पहन कर शौच आदि या हजामत बनाई है तो उसे धो डालना ही उचित है।
कुछ काल पूर्व शौच की व्यवस्था वैसी नहीं थी, जैसी वर्तमान में है। शौचालय का खुला रूप था इसलिए जिन कपड़ों को पहन कर शौच के लिए जाते थे उन्हें पुनः बिना धोकर प्रयोग करना वर्जित था। परन्तु आज उसकी आवश्यकता उतनी नहीं है फिर भी शौच के लिए जाना ही अपने आप में अशुद्धता है। इसलिए सावधानी पूर्वक कैसे शुद्धता बनाई जा सकती है उस पर ध्यान देकर हमारा व्यवहार अपेक्षित है। हमारा शौचालय इतना स्वच्छ हो कि वह लगे ही नहीं कि शौचालय है - वह भी पानी की मात्रा का सही उपयोग करके - न बहुत अधिक न बहुत कम । जहाँ के शौचालय साफ नहीं हैं क्योंकि पानी का उपयोग ठीक न करके वह गन्दा ही रह गया, तो जब ऐसे शौचालयों का उपयोग करते हैं तो अच्छा है अपने कपड़ों पर भी ध्यान दिया जाए। इसलिए प्रतिदिन यदि हमारी आदत सुबह ही स्नान के पूर्व शौच से निवृत्त होने की है तो इस समस्या से बचा जा सकता है।
この記事は Kendra Bharati - केन्द्र भारती の Kendra Bharati - November 2022 版に掲載されています。
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष