यत्र गंगा च यमुना च यत्र प्रावी सरस्वती यत्र सोमेश्वर देव स्तत्र मामतंकृर्धीद्रो परिव (जहाँ गंगा है, जहाँ यमुना है, जहाँ प्राची सरस्वती है और जहाँ देव सोमेश्वर हैं, वहीं मुझे अमरत्व प्रदान करना। हे चन्द्रमा! इन्द्र के लिए अमृत की वृष्टि करो...)
सरस्वती समुद्रस्य सोमः सोमग्रहस्तथा दर्शन सोमनाथस्य सकारा पंच दुर्लमा: । प्रभास खण्ड )
(सरस्वती नदी, समुद्र, सोम (सहधर्मचारिणी उमा सहित शिव), सोमग्रह (चन्द्र) और भगवान सोमनाथ के दर्शन, यह पांच दुर्लभ इसकार प्रभास में एकत्र होते हैं।)
भारतीय सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक : सोमनाथ
अरब समुद्र के तट पर, सौराष्ट्र के दक्षिण भाग में, भारत के पश्चिम किनारे पर, गिर सोमनाथ जिले के वेरावल तालुका में, वेरावल से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर और २०.२५ अक्षांश और ७०.२४ रेखांश पर स्थित एवं प्राची पुराणों में पाटण, देवपाटण, प्रभास पाटण और सोमनाथ पाटण जैसे नामों से जाना जाता स्थल।
この記事は Kendra Bharati - केन्द्र भारती の February 2023 Issue 版に掲載されています。
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