पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
Rishi Prasad Hindi|September 2024
'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान

“पादपश्चिमोत्तानासन ईश्वर का आशीर्वादरूप है। यह आसन भगवान शिवजी को प्रिय है। यह जरा कठिनता से होता है इसलिए इसका दूसरा नाम उग्रासन है। शिव संहिता में इस आसन का भगवान शंकर ने प्रचार किया था, बाद में गोरखनाथजी ने प्रचार किया और अभी हम लोग कर रहे हैं।

मैं घर में था तो २२ साल की उम्र में मुझे बहुत बीमारियाँ थीं, पेट का दर्द तो बचपन से ही रहता था फिर अपेंडिसाइटिस (आंत्रपुच्छ शोथ) की तकलीफ हो गयी। उसे ठीक करने के लिए ऑपरेशनI सिवाय कोई चारा नहीं था। फिर उन्हीं दिनों में हम घर छोड़कर गुरुजी के पास ईश्वरप्राप्ति के लिए गये। गुरुजी ने पादपश्चिमोत्तानासन बताया। वह किया तो अपेंडिसाइटिस ठीक हो गया, अभी तक वह तकलीफ नहीं हुई और पेट कभी दुखा तो आसन-वासन करके टनाटन हो गये। यह साधकों को जरूर करना चाहिए - भगवान चाहिए तब भी, संसार में तंदुरुस्त रहना है तब भी।

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