पूरे दिन की थकान के बाद एक अच्छी नींद की जरूरत सब को होती है. खासकर महिलाओं के लिए तो यह बहुत ही जरूरी है क्योंकि वे घर का काम भी करती हैं और नौकरी भी. सोते समय उन्हें पति की बात भी माननी जरूरी होती है वरना उस का भी मुंह फूल जाता है.
लोगों के सोने के तरीके भी अलगअलग होते हैं. कई लोग करवट ले कर तो कई पीठ के बल सोना पसंद करते हैं. लेकिन सोने का सही तरीका क्या है, इस की जानकारी बहुत लोगों को नहीं होती. जब हम सोने गए तो हम किस पोस्चर में लेटे और जब जागे तो किस ओर उठे. इस को जानने के लिए शोधकर्ता कई तरह की नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि आज की इस व्यस्त दुनिया में लोगों से नींद दूर होती जा रही है.
तो आइए सब से पहले बच्चों से ही शुरुआत करते हैं:
नवजात लगभग 20 से 22 घंटे सोते हैं. वे अकसर भूख लगने पर ही जागते हैं और रोते हैं. जैसेजैसे बेबी बड़ा होता जाता है उस के सोने का समय कम होने लगता है. महिलाओं के लिए शुरुआत के 2-3 साल तक के बच्चों को सुलाना काफी मुश्किल काम होता है. नीलम का कहना है कि उन की बेबी दिन के मुकाबले रात में ज्यादा जागती और रोती है जिस कारण वह रातभर सो नहीं पाती हैं. यहां तक कि जब भी वो दिनभर के काम से थोड़ा फ्री होती हैं, उसी समय उन की बेबी उठ जाती है और उन्हें आराम करने का मौका ही नहीं मिलता.
बेबी के सोने के घंटे
बच्चों के सोने के घंटे अलगअलग होते हैं. यह उन की उम्र और भूख लगने पर निर्भर करता है. चाहे बच्चे हों या फिर वयस्क, हर किसी के सोने के अपने तरीके होते हैं पर हरकोई अच्छे पोस्चर में ही आरामदायक नींद ले सकता है. इसलिए बच्चे के जन्म के बाद आप को उस से जुड़ी हर बात पर ध्यान देना होगा. तो आइए बेबी के सोने के घंटों पर पहले ध्यान दें:
• जन्म के पहले 2 सप्ताह में नवजात 20 घंटे या इस से भी अधिक समय तक सोता है.
この記事は Grihshobha - Hindi の October Second 2023 版に掲載されています。
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