'मैं भला तो जग भला,' कहावत आजकल कुछ इस तरह बदल गई है, 'मैं भला और मेरा मोबाइल भला.'
आजकल युवावर्ग और छोटे व बड़े बच्चे अधिकतर समय मोबाइल की स्क्रीन से चिपके नजर आते हैं. उन्हें कुछ और खयाल ही नहीं रहता. चलते फिरते, खातेपीते, सोतेजागते हर वक्त मोबाइल की दुनिया में डूबे रहते हैं. अपनी आसपास की दुनिया से अनजान बने रहते हैं. वे किसी भी तरह का कम्युनिकेशन बाहर की दुनिया से नहीं रखना चाहते हैं जिस के चलते वे वर्चुअल औटिज्म का शिकार बन रहे हैं.
वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दूसरों से बात करने में कतराते हैं, आई कौंटेक्ट नहीं करते, उन में बोलने की क्षमता का विकास देर से होता है, उन्हें लोगों के साथ घूलनेमिलने में दिक्कत होती है और उन का आईक्यू भी कम होता है.
कम होती सोशल कम्युनिकेशन
आजकल बच्चों को बचपन से ही मोबाइल फोन पकड़ा दिया जाता है. कभी पढ़ाई करवाने के लिए तो कभी कुछ और सिखाने के लिए जैसे कविता सुनवाते हैं, साथ ही रोते हुए छोटे बच्चों को चुप कराने के लिए वे कार्टून, मूवीज, गेम्स आदि उन्हें मोबाइल पर ही दिखाते हैं जिस के कारण उन्हें धीरेधीरे इस की लत लगती जाती है। जिस के चलते वे बोलना बाद में सीख और मोबाइल चलना पहले सीख रहे हैं.
इस का नकारात्मक प्रभाव यह होता है कि उन में स्पीच डैवलपमैंट नहीं हो पाता है. वे गैजेट्स में ही बिजी रहने लगते हैं. उन के व्यवहार में दिक्कतें आने लगती हैं जिस से उन का मानसिक विकास, उन का सोशल कम्युनिकेशन और बिहेवियर स्किल्स प्रभावित होती है.
बढ़ती दुर्घटनाएं
मोबाइल फोन अब हादसों का सब से बड़ा कारण बनते जा रहे हैं. वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना आजकल खासकर युवाओं के लिए नई बात नहीं है. अकसर सड़क पर लोग कार या बाइक चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते नजर आ जाते हैं.
युवावर्ग तो बाइक चलाते समय ईयर फोन लगा कर बात करता है या फिर गाने सुनता रहता है जिस के कारण उस का ध्यान बंटा हुआ रहता है और हादसे का शिकार हो जाता है. वाहन चलाने के दौरान ब्रेक लगाना, स्पीड बढ़ाना या मोड़ना सब कुछ नर्वस सिस्टम के काम करने पर होता है. वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करने के दौरान या फिर सड़क पर चलते हुए मोबाइल का प्रयोग करने पर नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है.
この記事は Grihshobha - Hindi の June First 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Grihshobha - Hindi の June First 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....