Samay Patrika - September 2022Add to Favorites

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इस अंक में एक बेहद खास किताब की चर्चा की गई है। ‘रिपोर्टिंग इंडिया' भारतीय पत्रकारिता जगत्‌ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, प्रेम प्रकाश के जीवन और समय का एक रोचक वर्णन है। एक फोटोग्राफर, फिल्म कैमरामैन और स्तंभकार के रूप में प्रकाश ने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं को कवर किया और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों, सैन्य तख्तापलट और उग्रवाद के गवाह भी बने।
अंकुर वारिकू की चर्चित पुस्तक ‘बड़ा सोचें, बड़ा करें’ हमें जीवन में जोखिम लेने, असफलताओं से सीखने और आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। इस पुस्तक का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने किया है।
अकु श्रीवास्तव की पुस्तक ‘सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का’ भारत के राजनीतिक दलों का लेखा-जोखा है। इसमें उन्होंने क्षेत्रीय दलों को राजनीति की दिशा बदलनेवाला बताया है।
अनुराधा बेनीवाल की नई किताब ‘लोग जो मुझमें रह गए’ एक ऐसी किताब है जिसमें उनकी यात्राओं के दौरान जो लोग उन्हें मिले, जिनकी छाप उनपर पड़ी और जिनको उन्होंने प्रभावित किया, उनके किस्से-कहानियों को उन्होंने इसमें दर्ज किया है। यह घुमक्कड़ी पर लिखी उनकी पहली बेहद चर्चित किताब ‘आज़ादी मेरा ब्राण्ड’ के बाद दूसरी किताब है। यह किताब एक दुनिया के भीतर दूसरी दुनिया की तलाश करती है, एक देश के भीतर दूसरे देश की खोज करती है।
अमित गुप्ता का उपन्यास ‘देहरी पर ठिठकी धूप’ समलैंगिकता और उससे उपजे द्वंद्व पर आधारित है।
आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘मृत्यु-कथा’ में बस्तर के आदिवासी, नक्सली, पुलिस की दिल को छू लेने वाली कहानियाँ हैं।
साथ में पढ़ें नई किताबों की चर्चा।


बड़ा सोचें, बड़ा करें

जीवन में सोचकर, जानकार और समझकर सफलता हासिल की जा सकती है

बड़ा सोचें, बड़ा करें

1 min

रिपोर्टिंग इंडिया - पत्रकारिता और 70 साल का सफ़र

'रिपोर्टिंग इंडिया' भारतीय पत्रकारिता जगत् में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, प्रेम प्रकाश के जीवन और समय का एक रोचक वर्णन है। एक फोटोग्राफर, फिल्म कैमरामैन और स्तंभकार के रूप में प्रकाश ने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं को कवर किया और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों, सैन्य तख्तापलट और उग्रवाद के गवाह भी बने। यह पुस्तक प्रकाश जी के बेमिसाल काम की सराहना करती है, जिसमें उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की विस्तृत जानकारी दी गई है। साथ ही उनकी ओर से कवर की गई सबसे प्रभावशाली खबरों की यादें भी ताजा करती है, जिनमें 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्ध और आपातकाल से लेकर इंदिरा गांधी की हत्या तक शामिल हैं। साथ ही, लाल बहादुर शास्त्री की दुर्भाग्यपूर्ण ताशकंद यात्रा से लेकर बांग्लादेश की मुक्ति और जवाहरलाल नेहरू के निधन से लेकर नरेंद्र मोदी के उत्थान तक की खबरें शामिल हैं। पढ़ने में बेहद दिलचस्प यह पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ निर्णायक क्षणों को जीवंत बना देती है।

रिपोर्टिंग इंडिया - पत्रकारिता और 70 साल का सफ़र

4 mins

लोग जो मुझमें रह गए

कुछ लोग जब आपमें छप जाते हैं, आप उन्हें आसानी से भुला नहीं सकते। कुछ यादें जब मिटती नहीं, तो उनके हिस्से आपमें ही रह जाते हैं।

लोग जो मुझमें रह गए

1 min

मौत के मुँह में जाकर लिखी 'मृत्यु - कथा'

कसी संकटग्रस्त इलाके में रहना- जीना तो मुश्किल होता ही है मगर उससे ज्यादा कठिन होता है वहां रहकर पत्रकारिता करना।

मौत के मुँह में जाकर लिखी 'मृत्यु - कथा'

3 mins

देहरी पर ठिठकी धूप

समलैंगिकता पर बहस जब छिड़ती है तो हवाएं अक्सर तेज बहने लगती हैं। मगर धारा 377 के हटाए जाने के बाद कुछ बदला जरुर है।

देहरी पर ठिठकी धूप

1 min

राग मक्कारी... अथ कैम्पस कथा

केशव पटेल ने उपन्यास राग मक्कारी... अथ कैम्पस कथा' बेहद चुटीले अंदाज़ में लिखा है, लेकिन उन्होंने इसमें जिन मुद्दों को उठाया है, वह सीधे-तौर पर हर किसी को प्रभावित करते हैं।

राग मक्कारी... अथ कैम्पस कथा

1 min

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Samay Patrika Magazine Description:

UtgiverSamay Patrika

KategoriFiction

SpråkHindi

FrekvensMonthly

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