हरियाणा
सभी फसलों की बढ़वार के लिए पौधे को 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। किसान भाई किसी भी फसल में मुख्य पोषक तत्वों पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति को और कोई महत्व नहीं देते। हरियाणा में एक विश्लेषण से जानकारी मिली है कि हरियाणा में 24 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि के नमूनों में जिंक की कमी है। क्योंकि जिंक की कमी सबसे अधिक पाई गई है। हमें जिंक के प्रयोग व महत्व को समझना व अपनाना होगा। क्योंकि जिंक की कमी से खासकर धान की पैदावार पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
जिंक की कमी के कारण
1. मुख्य पोषक तत्वों का असन्तुलित प्रयोग।
2. जैविक खादों का बहुत कम प्रयो।
3. भूमि रेतीली या कल्लर की समस्या का होना।
4. सघन फसल चक्र का अपनाना।
5. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को जानने के लिए मिट्टी परीक्षण को महत्व न देना।
जिंक के कार्य :
1. यह पौधों में कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाता है।
2. पौधों में जल की मात्रा को बनाये रखने में सहायक है।
3. भूमि में प्रयोग किये गये रासायनिक और जैविक खादों की क्षमता को बढ़ाता है।
4. यह पौधों में पाये जाने वाले हार्मोन्स के जैविक संश्लेषण का कार्य करता है।
Denne historien er fra 15th September 2022-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
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भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
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मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
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ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।